बिहार सरकार के दावों के विपरीत भोजपुर जिले के आरा सदर अस्पताल में आम नागरिकों और मीडिया कर्मियों के साथ हो रही बदसलूकी ने एक बार फिर से स्वास्थ्य व्यवस्था की हकीकत उजागर कर दी है। सोमवार की सुबह आरा सदर अस्पताल में बाइक पार्किंग को लेकर डीडी न्यूज के पत्रकार के साथ अस्पताल के सुरक्षा गार्डों ने न केवल बदसलूकी की, बल्कि मारपीट करते हुए उन्हें एक कमरे में बंद कर दिया और उनका मोबाइल भी छीन लिया।
इस शर्मनाक घटना ने प्रशासनिक संवेदनशीलता और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के प्रति सरकारी मशीनरी के रवैये पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है। सोशल मीडिया पर घटना को लेकर जनता, पत्रकार संगठनों और बुद्धिजीवियों में गहरा आक्रोश है। लोग अस्पताल प्रशासन और जिम्मेदार अधिकारियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।
क्या हुआ आरा सदर अस्पताल में? पूरी घटना विस्तार से
जानकारी के अनुसार, सोमवार सुबह डीडी न्यूज के एक पत्रकार बाइक पार्किंग को लेकर हो रही अव्यवस्था को लेकर वीडियो बनाने लगे। इसी दौरान वहां तैनात सुरक्षा गार्डों ने आपत्ति जताई। जब पत्रकार ने अपना कर्तव्य निभाते हुए वीडियो रिकॉर्ड करना जारी रखा, तो गार्डों ने पहले धक्का-मुक्की की, फिर उन्हें जबरन घसीटते हुए एक कमरे में बंद कर दिया।
बताया जा रहा है कि गार्डों ने पत्रकार के साथ मारपीट की, उनके मोबाइल फोन को छीन लिया और उसका लॉक पैटर्न तोड़ने की कोशिश की। कुछ देर बाद जब घटनास्थल पर लोगों की भीड़ जुटने लगी, तो दबाव में आकर मोबाइल लौटाया गया। पत्रकार को मौके पर पुलिस सहायता के लिए डायल 112 पर कॉल करना पड़ा।
घटना पर उठते राजनीतिक सवाल
इस घटना ने सीधे-सीधे बिहार सरकार और भोजपुर जिला प्रशासन की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर दिए हैं।
राजनीतिक हलकों में चर्चा है कि बिहार में कानून का नहीं बल्कि “ब्रितानिया हुकूमत” जैसा रवैया अपनाया जा रहा है, जहां आम नागरिकों और पत्रकारों के मौलिक अधिकारों का खुलेआम उल्लंघन किया जा रहा है।
विशेष रूप से ध्यान देने वाली बात यह है कि:
सिर्फ एक दिन पहले ही जदयू के युवा नेता प्रिंस सिंह बजरंगी के साथ भी आरा सदर अस्पताल में गार्डों ने बदसलूकी की थी। न सिर्फ बदसलूकी, बल्कि उनके खिलाफ आरा नगर थाना में एफआईआर भी दर्ज करवा दी गई थी। इसी प्रकार, कुछ दिन पूर्व अस्पताल के कर्मचारी परमेश्वर यादव के साथ भी गार्डों ने मारपीट की थी। इतना ही नहीं, एक बंदी को लेकर आए पुलिस अफसर को भी गार्डों ने छड़ी से पीट दिया था। उस घटना में चार सुरक्षा गार्ड गिरफ्तार कर जेल भेजे गए थे।
इन सब घटनाओं से यह साफ हो रहा है कि सदर अस्पताल में अराजकता चरम पर है, और यहां सुरक्षा कर्मी खुद कानून तोड़ने वाले बन गए हैं।
प्रशासन की प्रतिक्रिया और अब तक की कार्रवाई
घटना के बाद भोजपुर पुलिस के वरीय अधिकारियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है।
सूत्रों के मुताबिक, दोषी गार्डों की पहचान कर ली गई है और जल्द ही उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती है।
जिला प्रशासन के एक अधिकारी ने अनौपचारिक बातचीत में कहा:
“किसी भी कीमत पर लोकतांत्रिक संस्थाओं और पत्रकारों पर हमले को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोषियों पर कार्रवाई निश्चित है।”
लेकिन सवाल यह है कि क्या प्रशासन इस बार केवल आश्वासन तक सीमित रहेगा या वास्तव में दोषियों के खिलाफ उदाहरणीय कदम उठाएगा?
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था और कानून व्यवस्था की दोहरी चुनौती
बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था पहले से ही कई सवालों के घेरे में है। अब जब स्वास्थ्य संस्थानों में ही पत्रकारों और आम लोगों के साथ इस तरह की घटनाएं हो रही हैं, तो आम जनता का भरोसा पूरी तरह डगमगा रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्रशासन जल्द कड़े कदम नहीं उठाता, तो यह घटनाएं बिहार सरकार की छवि और जनविश्वास दोनों को भारी नुकसान पहुँचा सकती हैं।
आरा सदर अस्पताल में पत्रकार के साथ हुई बदसलूकी और मारपीट की घटना ने बिहार सरकार के कामकाज पर बड़ा प्रश्नचिह्न लगा दिया है। जब लोकतंत्र के प्रहरी ही असुरक्षित हों, तो आम जनता की सुरक्षा की कल्पना करना भी मुश्किल हो जाता है। अब पूरा भोजपुर और बिहार प्रदेश देख रहा है कि प्रशासन इस गंभीर मामले में कितनी तत्परता और निष्पक्षता से कार्रवाई करता है।