बिहार की धरती एक बार फिर विश्व पटल पर गर्व से सिर ऊँचा कर रही है। कारण है—बक्सर जिले के भेलुपुर गांव की गौरवमयी बेटी, कमला प्रसाद बिसेसर, जिनके नाम की एक बार फिर त्रिनिदाद एंड टोबैगो की राजनीति में गूंज सुनाई दी है। हालिया संसदीय चुनाव में उनकी पार्टी यूनाइटेड नेशनल कांग्रेस (UNC) को मिले स्पष्ट बहुमत के बाद उन्हें पार्टी का नेता चुन लिया गया है, और अब वह एक बार फिर से त्रिनिदाद एंड टोबैगो की प्रधानमंत्री बनने जा रही हैं।
यह महज किसी एक व्यक्ति की जीत नहीं, यह उस संघर्षशील परंपरा, भारतीय मूल की जड़ों और बिहार की सांस्कृतिक विरासत की जीत है, जिसने एक महिला को सुदूर कैरेबियन देश की सर्वोच्च सत्ता तक पहुँचाया।

गांव में उत्सव का माहौल: बेटी की उपलब्धि पर झूम उठा भेलुपुर
बक्सर का नन्हा सा गांव भेलुपुर आज उत्सव के रंग में रंगा है। गांव की गलियों से लेकर चौपाल तक हर कोई गर्व से लबरेज है। ढोल-नगाड़ों के बीच मिठाइयों का दौर चल रहा है, क्योंकि यह किसी एक घर की नहीं, पूरे बिहार की बेटी की ऐतिहासिक उपलब्धि है।
गांववालों को आज भी याद है जब साल 2012 में कमला बिसेसर अपने पूर्वजों की मिट्टी को प्रणाम करने आई थीं। उन्होंने अपने परदादा रामलखन की याद में मंदिर में पूजा की थी और कहा था, “यह मेरी जड़ों की भूमि है, यहां आकर मैं खुद को पूर्ण महसूस करती हूं।”
कमला प्रसाद बिसेसर: एक प्रेरणादायक यात्रा
कमला बिसेसर की कहानी केवल राजनीतिक सफलता की गाथा नहीं है, बल्कि यह संघर्ष, संस्कार, और स्वाभिमान की मिसाल भी है। उनका परिवार 1889 में ब्रिटिश शासन के दौरान कोलकाता से स्टीमर द्वारा त्रिनिदाद मजदूरी करने गया था। वहीं से उनकी यात्रा शुरू हुई और वर्ष 2010 में वे त्रिनिदाद एंड टोबैगो की पहली भारतीय मूल की महिला प्रधानमंत्री बनीं। अब, 2025 में, वे फिर से सत्ता के सर्वोच्च शिखर पर पहुँचने जा रही हैं।
वे एक कुशल वकील, सांसद, शिक्षाविद और समाजसेवी के रूप में जानी जाती हैं। भारतीय सभ्यता, परिवारिक मूल्यों और सामाजिक समरसता के प्रति उनकी आस्था उनके निर्णयों और नेतृत्व शैली में भी परिलक्षित होती है।
भारत और त्रिनिदाद के रिश्तों में एक नया पुल
कमला बिसेसर का फिर से प्रधानमंत्री बनना भारत और विशेषकर बिहार के लिए राजनयिक, सांस्कृतिक और रणनीतिक दृष्टिकोण से अत्यंत महत्त्वपूर्ण है। उनका भारतीयता से जुड़ाव न केवल भारत की सॉफ्ट पावर डिप्लोमेसी को सुदृढ़ करता है, बल्कि यह प्रवासी भारतीय समुदाय के लिए भी नवप्रेरणा बनता है।
उन्होंने खुद कई मंचों से यह स्वीकार किया है कि भारत, विशेषकर बिहार, उनके विचारों, मूल्यों और नेतृत्व दृष्टिकोण का प्रमुख स्तंभ रहा है।
कमला की यात्रा: प्रेरणा बनकर उभरी पीढ़ियों के लिए
साल 2012 में भेलुपुर यात्रा के दौरान उन्होंने गांव के स्कूल के लिए आर्थिक सहयोग दिया, सामाजिक केंद्र के लिए संसाधन जुटाने का वादा किया और गांव के बच्चों से संवाद कर उन्हें शिक्षा के प्रति जागरूक किया। उन्होंने तब कहा था, “मैं आज जहां हूं, उसका एक बड़ा कारण मेरे पूर्वजों की मेहनत और भारत की मिट्टी की ताकत है।”
उनका यह जुड़ाव केवल औपचारिक नहीं, बल्कि आत्मिक था। भेलुपुर की मिट्टी, जहां उनके परदादा खेते थे, उनके लिए आशीर्वाद और ऊर्जा का स्रोत रही है।
बिहार के लिए गर्व का पल
कमला बिसेसर का एक बार फिर से प्रधानमंत्री बनना, बिहार की बेटियों के लिए एक प्रेरणा है कि सीमाएं, भौगोलिक हो या सामाजिक, सिर्फ सोच की परिधि तक सीमित होती हैं। उनका यह सफर दिखाता है कि यदि जड़ें मजबूत हों और लक्ष्य स्पष्ट, तो कोई भी शिखर दूर नहीं होता।
बक्सर से त्रिनिदाद तक की यह यात्रा यह सिद्ध करती है कि बिहार की धरती केवल इतिहास ही नहीं रचती, बल्कि वह वर्तमान को भी रोशन करती है।
राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
कमला की इस ऐतिहासिक उपलब्धि पर देशभर से बधाइयां मिल रही हैं। प्रवासी भारतीयों के संगठनों, राजनीतिक विश्लेषकों और सांस्कृतिक नेताओं ने इसे एक “सांस्कृतिक विजय” और “भारतीय मूल की महिलाओं की वैश्विक शक्ति” के रूप में देखा है।
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय ने भी इसे भारत के लिए “कूटनीतिक उपलब्धि और सामुदायिक गौरव” बताया है।
समापन में: गर्व और भविष्य की उम्मीद
आज जब भारत विश्व मंच पर अपनी भूमिका को फिर से परिभाषित कर रहा है, ऐसे समय में कमला प्रसाद बिसेसर जैसे व्यक्तित्व भारत की सांस्कृतिक विरासत, लोकतांत्रिक मूल्यों और नारी नेतृत्व की शक्ति का जीवंत प्रमाण हैं।
बिहार की इस बेटी को, पूरे भारत की ओर से हार्दिक बधाई और अनंत शुभकामनाएं।
कमला बिसेसर नहीं केवल एक नेता हैं, बल्कि वह भविष्य की बेटियों के लिए एक मिसाल हैं – कि कोई भी सपना बड़ा नहीं, और कोई भी गांव छोटा नहीं।