Saturday, September 6, 2025
spot_img
spot_img

Top 5 This Week

Panchayat Season 3: आरा के विशाल ने फिल्मों में कैसे की शुरुआत, तीन ऑडिशन के बाद मिला पंचायत वेब सीरीज में रोल

Panchayat: आप लोगों ने पंचायत वेब सीरीज तो देखा ही होगा। पंचायत के तीसरे सीजन में एक पात्र ने अपनी अलग पहचान बनाई। जिसने अपने अभिनय से अपने पात्र को जीवित कर दिया और वेब सीरीज में जान डाल दी। इस वेब सीरीज में प्रधान जी, सचिव जी, प्रह्लाद चाचा और विनोद के साथ साथ एक और पात्र है जिसने अपना अलग पहचान बनाया। उन्होंने अपने डायलॉग और एक्टिंग के बदौलत लोगों के दिलों में जगह बनाई। हम बात कर रहे है इस वेब सीरीज के एक अनोखे किरदार जगमोहन की। पंचायत 3 अगर आपने देखी है तो आप जगमोहन से वाकिफ होंगे।

दअरसल जगमोहन का असली नाम विशाल यादव है। विशाल बिहार के आरा के रहने वाले है। विशाल के पिता महावीर सिंह यादव है। जो एक्स आर्मी मैन है। विशाल की मां सुमांति देवी गृहणी है। विशाल दो भाई और दो बहन है। विशाल के बड़े भाई विकास यादव फैशन डिजाइनर है और दो बहन सुनीता यादव, लाला यादव दोनों गृहणी है। वहीं विशाल यादव ने एमए पॉलिटकल साइंस की पढ़ाई वीर कुंवर सिंह यूनिवर्सिटी से की है। वहीं 2012 में डीके कार्मेल से दसवीं, 2014 में महाराजा कॉलेज से इंटर और महाराजा कॉलेज से ही स्नातक की पढ़ाई पूरी की है।

वहीं विशाल यादव आरा रंगमंच से अपने एक्टिंग की शुरुआत की। दूसरी कक्षा में पहली बार आरा नागरी प्रचारणी में स्टेज प्रोग्राम किया। विशाल ने अंधेर नगरी चौपट राजा, घर वाली बाहर वाली, विदेशिया के तर्ज पर नाटक किया था। सातवीं क्लास में चंद्रभूषण पांडेय (रंगकर्मी) के साथ विशाल ने आगे की एक्टिंग शुरू की। उसके बाद विशाल दिल्ली चले गए। काफी मेहनत करने के बाद विशाल को 2021 में पहली ऐड मिली। यह ऐड मिसो ऑनलाइन शॉप के लिया था। उसके बाद विशाल निरंतर मेहनत करते रहे। उतार चढ़ाव के बाद विशाल को बॉलीवुड में एंट्री मिली।

विशाल यादव को उनकी पहली फिल्म आयुष्मान खुराना और अनन्या पांडे की ड्रीम गर्ल टू में रोल करने का मौका मिला। जिसमें विशाल बहुत ही छोटे से सीन में नजर आए। इस फिल्म में विशाल एक क्लब में काम करते नजर आते है और आयुष्मान के लिए जूस लेकर आते है। उसके बाद विशाल निरंतर मेहनत करते है। वहीं विशाल की एक मिनी सीरीज भारत नगर डायरी में हेड कांस्टेबल JP का रॉल किया। इस सीरीज ने भी लोगों ने दिलों में खूब जगह बनाई। फिर एक समय आया जिसका इंतजार हर वो एक्टर को होता है जो सपने संजो कर सपनो की दुनियां में कदम रखते है।

विशाल को पंचायत 3 वेब सीरीज में जगमोहन का किरदार मिला। इस वेब सीरीज ने विशाल को एक नई पहचान दी। लोगों ने विशाल को पहचानना शुरू कर दिया। इस वेब सीरीज के डायलॉग “एक कमरा के घर में बहुत दिक्कत होता है सचिव जी” काफी तालियां बटोरी। अब विशाल आगे भी प्रोजेक्ट में काम कर रहे है। हालांकि प्रोटोकॉल होने की वजह से प्रोजेक्ट का नाम नहीं बताया गया। लेकिन विशाल एक बार फिर से बड़े पर्दे पर लोगों को दिखाई देने वाले है। अपने लंबे संघर्ष और मेहनत के बदौलत अपनी अलग पहचान बनाने वाले विशाल छोटे से शहर से निकलकर एक बड़े सपने को देखना शुरू किया और उस सपने को स्वीकार किया है।

इसपर विशाल बताते है कि यह एक लंबा प्रोसेस है। जब मैं काफी छोटा था तब से ही आरा में ही थिएटर करना शुरू कर दिया था। स्कूल टाइम में एनुअल फंक्शन में पार्टिसिपेट किया करता था। शो करता था तो लोगों को लगता था कि लड़का अच्छा कर रहा है। वैसे करते करते जब मैं सातवीं कक्षा में पहुंचा तो मेरे पहले गुरु चंद्र भूषण पांडेय की नजर मुझपर गई कि यह लड़का सीखना चाहता है। तब चंद्र भूषण पांडेय जी ने मुझे प्रॉपर ढंग से मुझे सिखाना शुरू किए। फिर नाटक के बारे में, अभिनय के बारे में, सिनेमा के बारे में, रंगमंच के बारे में, सिनेमा अभिनय के बारे में अवगत कराना शुरू किए। वहीं से मेरा दिमाग खुलना शुरू हुआ, अगर एक्टर बनना है तो पढ़ना लिखना पड़ेगा। तो यह सारा श्रेय जाता है चंद्र भूषण पांडेय सर को।

विशाल ने बताया कि स्कूल से आने के बाद जब भी टाइम मिलता है तो मैं चंद्र भूषण पांडेय सर के पास जाता था और सर मुझे ट्रेंड करते थे। लेकिन सर मुझसे बोलते थे अभी पढ़ाई कर लो जब बड़ा हो जाओगे करियर की बात आएगी तब इसपर बात करना। लेकिन मैं बहुत जिद्दी था। सर को हमेशा बोलते रहता है मुझे ये बताइए, वो बताईए मुझे ये जानना है। तो उनसे जितना भी संभव हो पाता था वो मुझे गाइड करते थे। तो सर के साथ रहते रहते आरा के बहुत से रंगकर्मी जो सीनियर थे, वो लोग भी गाइड कर रहे थे मुझे। ऐसे ही करते करते उनलोगों ने मुझे बताया कि दिल्ली में एक मंडी हाउस एक जगह है। जहां हिंदी रंगमंच के लिए सबसे बड़ी जगह है। अगर तुम्हें एक्टिंग में ही आगे बढ़ना है, सीखना जानना है तो तुम्हें मंडी हाउस जाना है।

विशाल ने बताया कि उन्हें उस दौरान मंडी हाउस के बारे में उन्हें बिल्कुल भी नहीं पता था। तो विशाल उस दौरान मंडी का मतलब सब्जी गोला, सब्जी बाजार समझा करते थे। उसके बाद धीरे धीरे पता चला, वहां पर मनोज बाजपेयी भी मंडी हाउस गए थे, तो मैं मनोज बाजपेयी का बहुत बड़ा फैन था। तब मुझे मंडी हाउस के बारे में जानने के लिए इंट्रेस्ट हुआ। मुझे भी मंडी हाउस जाना है और उनके जैसा ही एक्टर बनना है। उसके बाद बारहवीं पढ़ने के बाद मैं मंडी हाउस दिल्ली पहुंच गया। मंडी हाउस पहुंचने के बाद बहुत सारे थियेटर ग्रुप के साथ काम किया। वहां मेरे जिंदगी के दूसरे गुरु महेंद्र वैमाथी (NSD) जो नवाजुद्दीन सिद्दीकी के एक बैच सीनियर थे और उनके सानिध्य में रहा। उनके साथ ही सीखा जाना समझा। उसके बाद उन्होंने मुझे अलग ढंग से तैयार करना शुरू कर दिया।

उन्होंने बताया कि अगर अभिनय सीखना है तो बाहर का लिट्रेचर पढ़ो, बाहर की अभिनय की थ्योरी पढ़ो, अलग अलग चीजें है। बहुत सारी फिल्मों के बारे में बताया उन्होंने। तो पूरी तरीके से ग्लोबल एक्टर कैसे बना जाए जो उनके अंदर रहकर मैं निरंतर सीखता रहा। तो मेरे जीवन में दिल्ली रंगमंच को लेकर उनका बहुत योगदान रहा। राजेश तिवारी करके उनके साथ शो किया। उसके बाद दिल्ली रंगमंच में बहुत सारे शोज किए। जिसमें मैं दिल्ली रंगमंच में पोलपुलर भी हुआ और जब 19 साल का था तब पहला प्रोडक्शन अपने कंधों पर लेकर शुरू किया। जिसका नाम था चैत का लौंडा। तो श्री राम सेंटर मंडी हाउस में उसे डिजाइन किया। यह प्ले वहां बहुत बड़ा हीट साबित हुआ। तो मुझे मंडी हाउस में भी लोग पहचानने लगे कि एक आरा का लड़का है बहुत अच्छा कर रहा है। तो दिल्ली रंगमंच में उस प्ले से पहचान मिली। वहीं विशाल बताते है कि इस प्ले के बाद उनके लाइफ में बहुत बदलाव आया। लोगों ने मुझे बहुत सपोर्ट करना शुरू कर दिया। वहां एक पुस्तकालय है, लोगों ने मुझे वहां पढ़ने के लिए बताया कि यहां अभिनय से जुड़ी किताबें मिल जाएगी। बहुत सारे सीनियर डायरेक्टर थे उनलोगों ने सपोर्ट करना शुरू किया। तो कई वर्षों तक दिल्ली रंगमंच से जुड़ा रहा, बहुत कुछ सीखा और बहुत कुछ जाना। अभी भी कभी कभी मंडी हाउस पहुंच जाता हूं।

दिल्ली में मंडी हाउस से थियेटर और एक्टिंग के बारे में जानने के बाद विशाल 2019 में मुंबई पहुंचे। वहीं मुंबई तक का सफर तय करने में घर वालों की भूमिका अहम रही। जिसपर विशाल बताते है कि मैं बहुत लक्की हूं जो ऐसे घर में पैदा हुआ। जहां से मैं आता हूं कोई सोच भी नहीं सकता कि एक्टर बनना है। लोग सोचते है कि नॉर्मल पढ़ाई लिखाई करके पुलिस में चला जाए या ज्यादा कुछ करना है तो डॉक्टर बन जाएगा। लेकिन मैं उस सोच में भी नहीं था। हालांकि मेरे बैच के बहुत सारे बच्चे है जो इंजीनियरिंग के लिए गए थे। मेरे बैच के 95 प्रतिशत बच्चे कोटा गए थे। तो मैं ही यहां छूट गया था तो लोगों को लगता था कि ये आवारा है। पढ़ने लिखने वाला यह लड़का नहीं है। लेकिन मैं जहां से आता हूं सोच भी नहीं सकता है कि एक्टर बनना है। लेकिन मेरे अंदर फिल्में देखकर कॉपी करने की आदत थी।

एक्टिंग करने की ललक विशाल को बचपन से ही थी, एक्टिंग के चक्कर में विशाल खाना पीना छोड़कर पहले अभिनय पर ध्यान दिया करते थे। इसमें विशाल बताते है कि अभिनय सीखने और अभिनय के फील्ड में आगे बढ़ने में सबसे बड़ा स्पोर्ट उनकी मां का रहा। विशाल जब भी रंगमंच पर प्रोफॉर्म करते तो उनकी मां विशाल के लिए कॉस्ट्यूम लेकर आती थी। विशाल ने जिस भी कॉस्ट्यूम की डिमांड किया करते थे, उनकी मां उन्हें सपोर्ट करती और उन्हें वह कॉस्ट्यूम दिलाती थी। विशाल की बहने भी विशाल को बहुत सपोर्ट करती थी। विशाल आज जो भी है उसमें उनकी दोनों बहनों का श्रेय रहा है। लेकिन सपोर्ट के मामले में कहीं न कहीं विशाल समाज से अभी भी छुपे हुए है।

खास कर उनके अपने ही शहर में। विशाल बताते है कि समाज ने शुरू से सपोर्ट नहीं किया। आज के दौर में भी समाज बोलता है कि मुंबई गया है तो हीरो बन गया। इस भाषा में एक टोंट रहती है। इसमें समाज लगातार सवाल करते रहता है। लेकिन घर वाले हमेशा साथ रहते है। पैसों से लेकर या अन्य किसी भी परिस्थिति में जितना उनसे होता है वो मुझे सपोर्ट करते है। वहीं विशाल ने बताया कि उनके पिता बारहवीं तक पढ़ाई किए है, लेकिन उनकी मां की पढ़ाई बिल्कुल भी नहीं हुई है। लेकिन जब मैंने उनलोगों से बोला मुझे एक्टिंग करनी है तो उनलोगों ने एक्सेप्ट कर लिया कि मेरा बेटा एक्टर बन सकता है।

हालांकि अभी तक उनलोगों को नहीं पता है कि अभिनय क्या होता है, वे लोग बस इतना जानते है कि सिनेमा में लोग काम करते है। विशाल ने आगे इंटरव्यू में बताया कि जब मैं छोटा था और बारहवीं करने के बाद दिल्ली जाने की बात हमेशा अपने पापा से करता रहता था। तब उन्होंने मुझसे कहा था कि तुम हमेशा बोलते हो दिल्ली जाना है तो वे बोलते थे कि बाहर जाएंगे तो हिंदी थियेटर करेंगे। इससे पहले आरा है तो आरा का कल्चर जरूर सीख जाए। आरा का फोक डांस, संगीत सीख लें। उनके कहने के बाद ही मैंने भिखारी ठाकुर के बारे में जानना शुरू किया। उनके बहुत सारे प्ले पढ़े। अपनी मां से गीत जानना, सीखना शुरू किया। तो अपने पिता जी के कहने पर मैंने फोक के बारे में जानना और सीखना शुरू किया। तो ऐसे में घर वालों का काफी सपोर्ट रहा। ऐसे में उन्होंने कभी मुझे नहीं कहा कि नौकरी कर लें।

वहीं पंचायत 3 वेब सीरीज में रोल मिलने पर विशाल ने बताया कि यह रोल ऑडिशन के बाद मिला। जैसे सभी बच्चे छोटे शहरों से सपने लेकर मुंबई जाते हैं। वैसे ही मैं भी एक सपना लेकर मुंबई गया था। लेकिन मैं एक चीज जानता था यह चीज सीखकर और पढ़कर जाना है, तो मुझे वहां रोल जरूर मिलेगा। तो मुझ में वह काबिलियत और कॉन्फिडेंस हमेशा से रहा है। तो वैसे ही मैं भी दिल्ली रंगमंच से हर साल जैसे बच्चे जाते हैं वैसे ही मैं भी मुंबई पहुंचा। मुंबई पहुंचने के बाद मैं ऑडिशन देना शुरू कर दिया। छोटे-छोटे रोल के लिए मुझे वहां पर कई कास्टिंग कंपनियां है, जो मुझे बुलाया करती थी। तो हमेशा से मन में रहता था कि जो भी करना है अच्छे से करना है।

तो ऐसा करते-करते उन लोगों का ट्रस्ट बना कि लड़का अच्छा करता है, तो इसे बड़े रोल में भी लेना चाहिए। विशाल ने बताया कि इसके बाद उन लोगों ने मेरा टेस्ट लेना शुरू किया। तो 200 लोगों में, 300 लोगों में हमेशा टॉप 3 टॉप 2 में आने लगा। ऐसे में और भी कॉन्फिडेंस बढ़ता गया। तो ऑडिशन के थ्रू ही मुझे पंचायत 3 में रोल मिला। टीवीएफ के जो भी मेकर्स थे उनको अच्छा लगा। अमेजॉन का भी बहुत बड़ा हाथ रहा। उन लोगों ने देखा किया यह लड़का अच्छा कर रहा है, तो इस लड़के को इस वेब सीरीज में रोल दिया जाए। तो तीन राउंड ऑडिशन होने के बाद मुझे पंचायत 3 में काम करने का मौका मिला। मैं विशाल ने बताया कि पंचायत में रोल मिलने के बाद बहुत सर से डायलॉग हैं जिनका मीम बना और बहुत फेमस हुआ। विशाल ने अपने पसंदीदा डायलॉग में बताया कि ये बेशर्म कुमार है। तो मिम्स बहुत वायरल हो रहा है। ये देखो बेशर्म कुमार जा रहा है। परिवार का नाम मिट्टी में मिला दिया एक था श्रवण कुमार ये है बेशर्म कुमार।

वहीं एक आयुष्मान खुराना की फिल्म ए ड्रीम गर्ल 2 में मुझे एक छोटा सा रोल मिला था। यह फिल्म में यानी एक बड़े प्रोजेक्ट में मेरा पहला काम था। उससे पहले भारत नगर डायरी एक मिनी सीरीज थी उसमें मैंने काम किया था। बहुत सारे कमर्शियल ऐड भी किए। जिसमें एक फ्लिपकार्ट का भी ऐड मैंने किया था। वहीं पंचायत के बाद अभी चीज चेंज हुई है। वहीं विशाल यादव ने बताया कि पंचायत से पहले लोग मुझे जानते नहीं थे कि एक्टर है क्योंकि मुंबई में मेरे जैसे बहुत सारे एक्टर्स है। उसने पहचान कर पाना कि मैं भी एक एक्टर हूं बहुत मुश्किल काम है। आप भगवान की कृपा से वह चीज गई है। अब लोग मुझे जाने लगे हैं कि मैं भी एक्टिंग करता हूं। तो अब मुझे ऑफर्स जो भी कास्टिंग कंपनियां है मुझे सीरियसली लेना शुरू कर चुके हैं। तुम मुझे यह रोल करना है, इस प्रोजेक्ट पर काम करना है। तो लोग पहचानने लगे हैं कि आरा का एक लड़का है।

दिल्ली रंगमंच में था और अच्छा एक्टर है। तो मुंबई के लिए और फिल्मी दुनिया के लिए यह एक बैरियर टूट चुका है। वही विशाल अपने जिंदगी में हार्डकोर कमर्शियल फिल्मों के शौकीन रहे हैं। तो विशाल की फेवरेट हीरो अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान के बहुत बड़े फैन है। विशाल ने बताया कि धर्मवीर भारती की लिखी हुई अंधा युग एक प्ले है जो विशाल के दिलों के काफी करीब है। तो विशाल इस प्ले में अश्वत्थामा का किरदार करते थे। तो यह किरदार मुझे बहुत प्रभावित करता था। जब मैं बचपन में अश्वत्थामा का किरदार करता था, तो काफी पॉपुलर भी हो गया था। अश्वत्थामा के लिए हमेशा विशाल को ही बुलाया करते थे लोग। वहीं विशाल हॉलीवुड के एक्टर अल पचीनो के बहुत बड़े फैन है। उनकी फिल्म से काफी प्रभावित हुए थे।

Shahzad Alam
Shahzad Alam
शहजाद आलम पिछले एक दशक से अधिक समय से मीडिया इंडस्ट्री में एक्टिव हैं। देश के कई मशहूर मीडिया संगठन के लिए स्तर पर अपनी सेवा दे चुके है। स्पोर्ट्स, एजुकेशन रिपोर्टिंग, राजनीति और अपराध के साथ ही सेंट्रल डेस्क पर भी काम करने का अनुभव है। राजनीति, खेल के साथ ही विदेश की खबरों में खास रुचि है।

Popular Articles

The content on this website is protected by copyright. Unauthorized copying, reproduction, or distribution is strictly prohibited.