Pahalgam Attack: जम्मू-कश्मीर के पर्यटन स्थल पहलगाम में हुए भीषण आतंकी हमले ने न केवल भारत की आंतरिक सुरक्षा को गहराई से झकझोर दिया है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय को भी एक बार फिर आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट होकर खड़े होने की आवश्यकता की याद दिला दी है। इस घटनाक्रम के बाद भारत सरकार ने तत्काल राजनीतिक और रणनीतिक स्तर पर प्रतिक्रिया दी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में एक सर्वदलीय बैठक आयोजित की गई जिसमें देश के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों के नेता शामिल हुए।
राष्ट्रीय स्तर पर सर्वसम्मति: आतंकवाद के विरुद्ध एकजुट भारत
बैठक के बाद लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा,
“यह कोई दलगत राजनीति का विषय नहीं है। पूरे विपक्ष ने इस जघन्य हमले की कड़ी निंदा की है और केंद्र सरकार को किसी भी आवश्यक कार्रवाई के लिए पूर्ण समर्थन दिया है।”
उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद की लड़ाई में राजनीतिक विभाजन नहीं होना चाहिए, और यह समय है जब पूरा देश एक स्वर में बोले।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने बैठक की अध्यक्षता कर रहे रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और उपस्थित गृह मंत्री अमित शाह की मौजूदगी की सराहना करते हुए कहा,
“हमने स्पष्ट रूप से कहा कि जम्मू-कश्मीर में स्थायी शांति की दिशा में ठोस और समावेशी प्रयास किए जाने चाहिए। सुरक्षा बलों को और सशक्त किया जाए, साथ ही स्थानीय नागरिकों में विश्वास बहाल किया जाए।”
ओवैसी का कड़ा रुख और संवैधानिक प्रश्न
बैठक में भाग लेने के बाद एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तीखी टिप्पणी करते हुए कहा,
“यदि यह प्रमाणित हो जाता है कि इस हमले के पीछे सीमा पार स्थित कोई आतंकी संगठन है, तो भारत को अंतरराष्ट्रीय कानूनों के तहत उस राष्ट्र के विरुद्ध सैन्य, कूटनीतिक और आर्थिक कार्रवाई करने का अधिकार है।”
उन्होंने जोर देकर कहा कि अंतरराष्ट्रीय कानून भारत को आत्मरक्षा में हवाई और समुद्री नाकेबंदी, हथियारों की आपूर्ति पर प्रतिबंध, और आर्थिक दंडात्मक उपायों का अधिकार देता है।
ओवैसी ने सुरक्षा में चूक की ओर इशारा करते हुए सवाल उठाया कि बैसरन जैसे संवेदनशील क्षेत्र में CRPF की तैनाती क्यों नहीं थी और त्वरित कार्रवाई बल को पहुंचने में एक घंटे का विलंब क्यों हुआ। साथ ही उन्होंने इस बात की निंदा की कि हमलावरों ने लोगों की पहचान उनके धर्म के आधार पर कर उनकी हत्या की।
सिंधु जल संधि का निलंबन और जल कूटनीति
भारत सरकार ने पाकिस्तान के प्रति कड़ा रुख अपनाते हुए सिंधु जल संधि को अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया है। ओवैसी ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा,
“यह एक साहसिक निर्णय है, लेकिन हमें इस बात की भी तैयारी करनी होगी कि इस पानी को हम संग्रहित और उपयोग कैसे करेंगे। जल भंडारण की पूर्व तैयारी के बिना यह कदम प्रभावहीन रह सकता है।”
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया: भारत के समर्थन में वैश्विक समुदाय
संयुक्त राष्ट्र, संयुक्त राज्य अमेरिका, यूरोपीय संघ, और रूस समेत कई अंतरराष्ट्रीय शक्तियों ने इस आतंकी हमले की निंदा की है और भारत को आतंकवाद के खिलाफ किसी भी कदम में समर्थन देने की घोषणा की है।
- अमेरिका ने कहा कि आतंकवाद के खिलाफ भारत की हर कार्रवाई को वैध माना जाएगा।
- रूस ने पाकिस्तान को स्पष्ट रूप से चेतावनी दी कि वह अपनी जमीन का उपयोग आतंकवाद के लिए न होने दे।
- फ्रांस और ब्रिटेन ने आतंकवाद पर ‘नो टॉलरेंस पॉलिसी’ की पुनः पुष्टि की।
भारत अब संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में एक प्रस्ताव लाने की योजना बना रहा है जिससे सीमा पार आतंकवाद को प्रायोजित करने वाले राष्ट्रों पर आर्थिक और सैन्य प्रतिबंध लग सकें।
रणनीतिक निहितार्थ: भारत की आगे की राह
- आंतरिक सुरक्षा सुदृढ़ीकरण: जम्मू-कश्मीर में अतिरिक्त सुरक्षाबलों की तैनाती और स्थानीय खुफिया तंत्र को और मजबूत किया जा रहा है।
- अंतरराष्ट्रीय लामबंदी: भारत अब अपने रणनीतिक साझेदारों—जैसे अमेरिका, इज़राइल, फ्रांस और जापान—के साथ मिलकर आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक गठबंधन को सशक्त करेगा।
- डिजिटल और साइबर निगरानी: सीमा पार से प्रायोजित साइबर आतंकी गतिविधियों पर भी निगरानी और जवाबी कार्यवाही को प्राथमिकता दी गई है।
- जनसंवाद और राष्ट्रीय एकता अभियान: केंद्र सरकार जल्द ही “एक राष्ट्र, एक स्वर” अभियान शुरू करने जा रही है जिससे आतंकवाद विरोधी भावना को आम जनमानस में और मजबूत किया जा सके।
भारत का स्पष्ट संदेश – “अब सिर्फ जवाब नहीं, समाधान होगा”
भारत ने अपने राजनीतिक नेतृत्व, सुरक्षा संस्थानों और वैश्विक कूटनीतिक मंचों पर यह स्पष्ट कर दिया है कि अब वह सिर्फ प्रतिक्रिया नहीं, निर्णायक समाधान की ओर अग्रसर है। पहलगाम का आतंकी हमला एक चुनौती है, लेकिन उससे भी अधिक यह राष्ट्रीय संकल्प की परीक्षा है—जिसमें भारत ने एक स्वर में जवाब दिया है।
“आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, लेकिन मानवता का एक ही धर्म है – शांति। और भारत अब उसी धर्म की रक्षा में खड़ा है।”