पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए नृशंस आतंकी हमले ने भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से चल रहे तनाव को नई ऊंचाई पर पहुंचा दिया है। इस हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई और कई लोग घायल हो गए। भारत ने इस हमले के खिलाफ अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की और अटारी सीमा को बंद कर दिया, साथ ही सिंधु जल समझौता को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया। इस कदम से पाकिस्तान के जल संकट का सामना करना पड़ेगा, जिससे पाकिस्तान में करोड़ों नागरिकों के जीवन में संकट आ सकता है।
अमेरिका का कड़ा संदेश और समर्थन
अमेरिका ने स्पष्ट रूप से कहा है कि वह भारत के आतंकवाद के खिलाफ संघर्ष में पूरी तरह से उसके साथ खड़ा है। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने इस हमले की कड़ी निंदा करते हुए आतंकवादियों के खिलाफ भारत के “ढूंढो और मारो” नीति को समर्थन दिया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी इस बारे में अपना समर्थन व्यक्त किया और कहा कि पाकिस्तान से निपटने में भारत को किसी भी प्रकार की कार्रवाई करने में अमेरिका हस्तक्षेप नहीं करेगा।
अमेरिका ने पाकिस्तान को चेतावनी दी है कि वह F-16 लड़ाकू विमानों का उपयोग भारत के खिलाफ किसी भी सैन्य कार्रवाई में नहीं कर सकता, जैसा कि F-16 पाकिस्तान को देने के समय शर्त रखी गई थी। अमेरिकी प्रशासन पाकिस्तान की सैन्य गतिविधियों पर कड़ी निगरानी रखे हुए है, और अब पाकिस्तान के लिए यह एक बड़ा झटका है क्योंकि ये विमानों उसकी वायुसेना की शक्ति का अहम हिस्सा हैं।
भारत का कड़ा रुख और जवाबी रणनीति
भारत ने पहलगाम हमले की एफआईआर में यह स्पष्ट किया है कि यह हमला पाकिस्तान में बैठे आतंकवादी आकाओं के इशारे पर हुआ था। आतंकियों ने पर्यटकों से उनका धर्म पूछा, पैंट उतरवाकर खतना की जांच की और फिर हिंदुओं को निशाना बनाया। लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े आतंकवादी संगठन ‘द रेजिस्टेंस फ्रंट’ (TRF) ने इस हमले की जिम्मेदारी ली है, जिसे पाकिस्तानी सेना और ISI का सीधे समर्थन प्राप्त है।
भारत ने इस हमले के बाद कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कड़े कदम उठाए हैं। अटारी सीमा को बंद करने और सिंधु जल समझौते को निलंबित करने के अलावा, भारतीय सेना ने LoC (Line of Control) पर हाई अलर्ट जारी कर दिया है। खुफिया एजेंसियों ने पाकिस्तान में 42 आतंकी लॉन्च पैड्स की पहचान की है, जिनमें नॉन-मिरान शाह, मानसेहरा, मंगला, रावलकोट और मुरीदके जैसे स्थान शामिल हैं। भारत सर्जिकल स्ट्राइक या बालाकोट जैसी एयरस्ट्राइक की रणनीति पर विचार कर रहा है।
भारत को मिला वैश्विक समर्थन
भारत को इस समय वैश्विक समुदाय का व्यापक समर्थन प्राप्त हो रहा है। ब्रिटेन, फ्रांस, इटली, नीदरलैंड, इजराइल, जापान, रूस, और श्रीलंका जैसे देशों ने भारत के आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई का समर्थन किया है।
ब्रिटिश प्रधानमंत्री केयर स्टॉर्मर ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत की और पहलगाम हमले को “बर्बर” बताते हुए कहा कि ब्रिटेन इस दुखद समय में भारत के साथ मजबूती से खड़ा है। नीदरलैंड के प्रधानमंत्री डिक शूफ, श्रीलंका के राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके, फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू, और जॉर्डन के शाह अब्दुल्ला द्वितीय ने भी इस हमले की निंदा करते हुए भारत के समर्थन की बात कही।
इसके अलावा, इटली की प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा ने भी इस हमले पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की और भारत को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में पूर्ण सहयोग का आश्वासन दिया।
पाकिस्तान के सामने गंभीर संकट
पाकिस्तान की स्थिति अब गंभीर हो गई है। आर्थिक संकट और सैन्य कमजोरियां पाकिस्तान को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर और भी अधिक अलग-थलग कर रही हैं। पाकिस्तान का विदेशी मुद्रा भंडार महज 4.3 अरब डॉलर तक पहुंच चुका है, जो कि एक महीने के आयात के लिए भी अपर्याप्त है। इसके अलावा, पाकिस्तान के सैन्य प्रमुख असीम मुनीर की अमेरिका और चीन के बीच डबल गेम खेलने की कोशिश नाकाम हो चुकी है।
पाकिस्तान की परमाणु धमकियां अब एक रणनीति बन गई हैं, जिसे 1993 की CIA रिपोर्ट में भी उल्लेख किया गया है, जहां बताया गया था कि पाकिस्तान की सेना भारत के सामने पारंपरिक सैन्य शक्ति में हार सकती है।
भारत का अगला कदम और पाकिस्तान पर बढ़ता दबाव
भारत के लिए यह समय कूटनीतिक और सैन्य दोनों मोर्चों पर सटीक कदम उठाने का है। अंतर्राष्ट्रीय समर्थन मिलने के बाद, भारत ने स्पष्ट संकेत दिया है कि वह किसी भी प्रकार के आतंकवादी हमलों को बर्दाश्त नहीं करेगा और पाकिस्तान से पूरी दुनिया को “आतंकवाद का वित्तपोषक” होने की स्वीकारोक्ति कराएगा।
अब भारत की अगली प्रतिक्रिया पर पूरी दुनिया की नजरें हैं, क्योंकि भारत पाकिस्तान को “ढूंढो और मारो” की नीति के तहत कड़ी प्रतिक्रिया दे सकता है। अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, जापान, और अन्य देशों का समर्थन यह दर्शाता है कि भारत वैश्विक मंच पर आतंकवाद के खिलाफ अपनी लड़ाई को और तेज करने का मजबूत इरादा रखता है।