भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच भारत सरकार ने एक अहम कदम उठाया है, जिससे सैन्य तैयारियों को और मजबूत किया जा सके। भारतीय सेना के प्रमुख को अब विशेष अधिकार प्राप्त हो गए हैं, जिनके तहत वे ‘टेरिटोरियल आर्मी’ के हर अफसर और जवान को अपनी आवश्यकता के अनुसार किसी भी मिशन में तैनात कर सकते हैं। यह निर्णय ‘टेरिटोरियल आर्मी रूल्स 1948’ के नियम 33 के तहत लिया गया है, और इसके साथ ही रक्षा मंत्रालय ने एक आधिकारिक नोटिफिकेशन भी जारी किया है।
इस विशेष अधिकार के तहत, सेना प्रमुख को यह अधिकार दिया गया है कि वे किसी भी टेरिटोरियल आर्मी अफसर या जवान को किसी भी प्रकार के सैन्य मिशन में तैनात कर सकते हैं, चाहे वह युद्ध, आंतरिक सुरक्षा या अन्य किसी आवश्यक काम के लिए हो। इससे टेरिटोरियल आर्मी के जवानों की भूमिका और महत्व बढ़ गया है, जो सेना की मुख्यधारा के लिए महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
महत्वपूर्ण सवाल: क्या टेरिटोरियल आर्मी के प्रसिद्ध अधिकारी भी जंग में जाएंगे?
इस नई घोषणा के बाद, कई राजनीतिक और क्रिकेट प्रशंसकों के मन में यह सवाल उठ रहा है कि अगर भारत और पाकिस्तान के बीच जंग होती है, तो क्या टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारी, जैसे कि क्रिकेट के महान खिलाड़ी महेंद्र सिंह धोनी (एमएस धोनी), सचिन तेंदुलकर, और कांग्रेस नेता सचिन पायलट जैसे प्रमुख नेता भी जंग में हिस्सा लेंगे?
यह सवाल इसलिए उठ रहा है क्योंकि इन प्रमुख हस्तियों के नाम भारतीय टेरिटोरियल आर्मी के महत्वपूर्ण अधिकारियों में शामिल हैं। एमएस धोनी और सचिन पायलट जैसे चर्चित नामों का आर्मी में शामिल होना एक बड़ा सवाल खड़ा करता है कि क्या ये लोकप्रिय चेहरे भारतीय सेना के किसी महत्वपूर्ण मिशन में अपनी भूमिका निभाएंगे।
भारत के शीर्ष क्रिकेटर्स और राजनेताओं की टेरिटोरियल आर्मी में भागीदारी
- महेंद्र सिंह धोनी
भारतीय क्रिकेट के दिग्गज और दुनिया के सबसे बड़े कप्तानों में शुमार महेंद्र सिंह धोनी को भारतीय टेरिटोरियल आर्मी में लेफ्टिनेंट कर्नल के पद से सम्मानित किया गया था। यह सम्मान उन्हें 2011 में प्राप्त हुआ था, और वह यह सम्मान प्राप्त करने वाले पहले क्रिकेटर बने थे। धोनी ने भारतीय सेना के पैराशूट रेजिमेंट के साथ बुनियादी ट्रेनिंग भी ली थी और वह एक योग्य पैराट्रूपर हैं। यदि युद्ध के हालात बनते हैं, तो क्या धोनी अपने सैन्य प्रशिक्षण और अनुभव का इस्तेमाल करेंगे? - सचिन तेंदुलकर
क्रिकेट की दुनिया में भगवान माने जाने वाले सचिन तेंदुलकर भी टेरिटोरियल आर्मी के एक महत्वपूर्ण अधिकारी हैं। उन्होंने 2013 में भारतीय टेरिटोरियल आर्मी में कैप्टन के पद से सम्मानित किया था। उनकी सैन्य पृष्ठभूमि उनके खेल करियर की तरह ही प्रेरणादायक रही है। हालांकि, उन्होंने अभी तक कभी सैन्य कर्तव्यों का पालन नहीं किया है, लेकिन यह सवाल उठता है कि अगर स्थिति बदले, तो क्या वह भी युद्ध के समय में अपनी भूमिका निभाएंगे? - सचिन पायलट
सचिन पायलट, कांग्रेस के प्रमुख नेता और राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री, टेरिटोरियल आर्मी में एक नियमित कमीशन अधिकारी के रूप में सेवा दे रहे हैं। वह 2012 में कमीशन प्राप्त करने वाले पहले केंद्रीय मंत्री बने, जिन्होंने टेरिटोरियल आर्मी में एक नियमित अधिकारी के रूप में सेवा की। उनके सैन्य परिवार की पृष्ठभूमि को देखते हुए, यह संभावना जताई जा रही है कि वह भी किसी सैन्य मिशन में शामिल हो सकते हैं यदि आवश्यकता पड़ी।
क्या टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका युद्ध में बढ़ेगी?
भारत सरकार द्वारा सेना प्रमुख को यह विशेष अधिकार देने से टेरिटोरियल आर्मी की भूमिका को लेकर भी चर्चाएं तेज हो गई हैं। टेरिटोरियल आर्मी, जो पहले सीमित गतिविधियों में ही सक्रिय रहती थी, अब संभावित युद्ध या किसी संकट के दौरान सेना की मुख्यधारा के साथ जुड़ी रह सकती है। यह कदम विशेष रूप से युद्ध की स्थिति में टेरिटोरियल आर्मी के जवानों के सैन्य मिशनों में महत्वपूर्ण योगदान को सुनिश्चित करेगा।
रक्षा मंत्रालय का निर्णय और टेरिटोरियल आर्मी के महत्व में वृद्धि
रक्षा मंत्रालय द्वारा यह फैसला किया गया है कि सेना प्रमुख अब अपनी आवश्यकता के अनुसार टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को किसी भी प्रकार के सैन्य कार्य में तैनात कर सकते हैं, जिससे भारतीय सेना की क्षमता और रणनीतिक योजना को बल मिलेगा। इसके अलावा, टेरिटोरियल आर्मी के जवानों को अब किसी भी आपातकालीन मिशन में शामिल किया जा सकता है, चाहे वह प्राकृतिक आपदा हो या युद्ध।
इसका अर्थ है कि अब टेरिटोरियल आर्मी केवल एक सहायक बल नहीं रहेगा, बल्कि यह भारतीय सेना की रणनीतिक योजना का अभिन्न हिस्सा बन जाएगा। युद्ध की स्थिति में, टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारी और जवान भारतीय सेना के साथ कंधे से कंधा मिलाकर लड़ेंगे।
भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच सरकार द्वारा लिया गया यह कदम सैन्य तैयारियों को और मजबूत करता है। टेरिटोरियल आर्मी को अधिक जिम्मेदारी देने से भारतीय सेना की शक्ति बढ़ेगी और संभावित संकटों का सामना करने के लिए अधिक कुशल तरीके से तैयार किया जा सकेगा।
इस निर्णय ने यह भी साफ कर दिया है कि यदि युद्ध की स्थिति बनती है, तो टेरिटोरियल आर्मी के प्रमुख अधिकारी जैसे एमएस धोनी, सचिन तेंदुलकर, और सचिन पायलट अपने सैन्य कर्तव्यों का पालन करने के लिए तैयार रहेंगे। यह निर्णय भारतीय सेना के लिए एक नई ताकत और एक नई रणनीति का प्रतीक है, जो देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकता है।