बिहार | शुभम कुमार | साधारण इंसान सुरेंद्र राय ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से सफलता की नई ऊंचाइयों को छुआ. कभी वे चकाई बाजार में चाय की दुकान चलाते थे और आज पांच होटल के मालिक हैं. परिवार की जिम्मेदारियों के कारण पढ़ाई छोड़ने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और दिल्ली से लौटकर अपनी मेहनत से ‘सुरो भोजनालय’ की नींव रखी.
जमुई जिले के चकाई बाजार में गुमटी में चाय बेचने वाला एक साधारण सा आदमी आज पांच होटल का मालिक है. यह कहानी सुरेंद्र राय की है, जिन्होंने 15 साल की उम्र में दसवीं और 17 साल की उम्र में 12वीं की पढ़ाई पूरी की. लेकिन, परिवार की जिम्मेदारियों को देखते हुए बीच में ही पढ़ाई को छोड़नी पड़ी और वह नौकरी की तलाश में दिल्ली चले गए. लेकिन, आत्मविश्वास को अपना हथियार बनाकर जिंदगी की जंग जीती और आज अपने जिले और राज्यवासियों के बीच सफलता की मिसाल पेश की. उनकी कहानी इस बात का सबूत है कि सिर्फ नौकरी पेशा में रहकर व्यक्ति सफल नहीं हो सकता है, बल्कि खुद की मेहनत और खुद के काम से उसे सम्मान और सफलता के शिखर तक पहुंचा सकता है.

संघर्ष से हुई शुरुआत और फिर सपनों की उड़ान
बिहार के जमुई जिले के एक छोटे से गांव रामचन्द्रडीह में साल 1978 में जन्मे सुरेंद्र राय का बचपन आर्थिक तंगी में बीता. 12वीं पास करने के बाद परिवार की जिम्मेदारी ने उन्हें पढ़ाई छोड़ने पर मजबूर कर दिया. उन्होंने दिल्ली में रहकर दैनिक मजदूरी की, लेकिन उन्हें किसी के इशारे पर काम करना पसंद नहीं आया. जिसके चलते दिल्ली छोड़कर घर लौट आए. पिता भीम राय किसान होने के चलते कुछ खास मदद नहीं कर सके, लेकिन हौसला अफजाई में अव्वल रहे. उन्होंने अपने बेटे की पसंद-नापसंद पर कभी रोक-टोक नहीं की.
सुरो चाय दुकान से भोजनालय तक का सफर
भोजनालय के पांच शाखाओं के मालिक सुरेंद्र राय का कहना है कि उन्होंने अपने काम से हमेशा प्यार किया. काफी परेशानियों के बावजूद कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा. वह कहते हैं कि लोग उन्हें प्यार से सुरो कहकर बुलाते थे. यही वजह है कि आज से करीब 24 साल पहले चकाई स्थित पुराना बस स्टैंड में चाय की दुकान खोली. खुद दुकान चलाते हुए साल 2010 में सुरो भोजनालय के नाम पर पहला होटल खोला. यह होटल भी चाय दुकान के ठीक करीब ही था, जहां शाकाहारी और मांसाहारी भोजन का स्वाद लोग ले सकते थे.
आत्मविश्वास ने बनाया इलाके का प्रमुख नाम
बता दें कि, चाय दुकान की शुरुआत करने वाले सुरेंद्र राय ने अपनी मेहनत और आत्मविश्वास से गोपीडीह में साल 2016 में दूसरा शाखा, साल 2021 में चकाई ब्लॉक के सामने तीसरी शाखा और साल 2022 में देवघर में चौथे शाखा का शुभारंभ किया. लोग शौक से मटन खाने के लिए सुरो भोजनालय पहुंचते हैं. चकाई में मटन के लिए सुरो भोजनालय प्रमुख नाम बन चुका है. अब साल 2025 में देवघर में एलआईसी ऑफिस के सामने अपनी पांचवीं शाखा का उद्घाटन किया.

सुरो भोजनालय कई लोगों के लिए बन गया जीवन रेखा
अपने जैसे लोगों के बीच स्वच्छ और स्वादिष्ट भोजन की सख्त जरूरत को देखते हुए सुरेंद्र ने भोजनालय की स्थापना की. अपने पिता के काम में अब उनका बेटा सचिन भी हाथ बटा रहे हैं. वह कहते हैं कि कम कीमत में भोजन उपलब्ध कराने की अवधारणा स्थानीय लोगों को बहुत पसंद आई, जिसके कारण चकाई में चार शाखाएं स्थापित हो गईं. यहां खाने के लिए ज्यादातर नौकरी पेशा लोग भी आते हैं और आम आदमी भी. जबकि, मटन के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. हाल ही में, गायक गुंजन सिंह और शिवेश मिश्रा भी यहां पहुंचे थे. पिता ने आज 45 से अधिक लोगों को रोजगार से जोड़ा है और महीने का टर्नओवर करीब 10 लाख है.