बिहार में साइबर अपराध के मामलों में लगातार वृद्धि हो रही है, और अब कटिहार पुलिस ने ऐसे एक संगठित साइबर ठगी गिरोह का पर्दाफाश किया है, जिसकी जड़ें न सिर्फ राज्य के भीतर बल्कि सरहद पार तक फैली हुई प्रतीत हो रही हैं। सहायक थाना पुलिस ने बुद्धू चौक इलाके से एक ऐसे युवक को गिरफ्तार किया है, जो एक बड़ी साइबर ठग चेन का महत्वपूर्ण कड़ी बन चुका था। उसके पास से 15 बैंक पासबुक, 18 एटीएम कार्ड और 3 मोबाइल फोन बरामद किए गए हैं, जिनके जरिए यह रैकेट वर्षों से ठगी के नेटवर्क को संचालित कर रहा था।
कैसे काम करता है यह गिरोह?
गिरफ्तार युवक ने पुलिस पूछताछ में जो खुलासे किए हैं, वे चौंकाने वाले हैं। वह अपने आकाओं के निर्देश पर कटिहार और आसपास के ग्रामीण इलाकों में घूमता था और जरूरतमंद या अनपढ़ लोगों को ₹5000 का लालच देकर उनसे बैंक खाता खुलवाने को कहता था। एक बार खाता खुल जाने के बाद वह उनसे पासबुक, एटीएम कार्ड और खाते से लिंक मोबाइल नंबर का सिम कार्ड भी ले लेता था।

यह सभी दस्तावेज वह पटना में बैठे साइबर रैकेट के सरगनाओं को ऊँचे दामों में बेच देता था, जो फिर इन खातों का इस्तेमाल ठगी की रकम को रिसीव करने के लिए करते थे। इस तरह, न केवल स्थानीय बल्कि अन्य राज्यों और यहां तक कि सरहद पार बैठे साइबर ठग भी इस नेटवर्क के माध्यम से ठगी को अंजाम दे रहे थे।
अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन का शक
कटिहार पुलिस की प्रारंभिक जांच में यह भी सामने आया है कि कई बैंक खातों का उपयोग सीमावर्ती क्षेत्रों, विशेषकर बांग्लादेश से हो रहे साइबर अपराधों में किया गया है। इसके आधार पर पुलिस यह मान रही है कि यह कोई साधारण नेटवर्क नहीं बल्कि अंतरराज्यीय और संभावित रूप से अंतरराष्ट्रीय स्तर का संगठित साइबर ठग गिरोह है।
गिरफ्तार युवक का प्रोफाइल
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार युवक उम्र में अपेक्षाकृत युवा है और देखने में साधारण है, जिससे लोगों को उस पर आसानी से विश्वास हो जाता था। वह बेरोजगारी, गरीबी और डिजिटल अशिक्षा का फायदा उठाकर ग्रामीण इलाकों में युवाओं, महिलाओं और वृद्धों को लक्ष्य बनाता था। उन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ दिलाने का झांसा देता और कहता कि उनके नाम से खाता खुलवाना जरूरी है।
पुलिस ने क्या कहा?
कटिहार एसपी के निर्देश पर इस मामले में एक विशेष जांच दल (SIT) का गठन किया गया है। सहायक थाना प्रभारी ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा:
“यह मामला साइबर अपराध के उस नए मॉडल की ओर इशारा करता है, जिसमें ठग सीधे-सीधे ऑनलाइन ठगी नहीं करते, बल्कि बैंकिंग व्यवस्था और आम लोगों की जानकारी का दुरुपयोग करते हैं। यह गिरोह जितना स्थानीय दिखता है, उतना ही गहरा और व्यापक इसका नेटवर्क है। हम तकनीकी विश्लेषण के माध्यम से इसके हर सदस्य तक पहुंचने की कोशिश कर रहे हैं।”
आगे की जांच में ये बिंदु शामिल:
- बरामद मोबाइल की कॉल डिटेल्स और चैट्स की जांच।
- बैंक खातों के ट्रांजैक्शन इतिहास की गहन पड़ताल।
- संबंधित टेलीकॉम कंपनियों से सिम एक्टिवेशन रिकॉर्ड।
- पटना व अन्य जिलों में संभावित नेटवर्क की पहचान।
- अंतरराज्यीय और अंतरराष्ट्रीय कनेक्शन की पुष्टि हेतु केंद्रीय एजेंसियों से सहयोग।
साइबर अपराध की बदलती परिभाषा
यह मामला इस बात की स्पष्ट तस्वीर पेश करता है कि आज साइबर अपराध केवल कंप्यूटर हैकिंग या फिशिंग ईमेल तक सीमित नहीं रहा। यह अपराध अब गांव-देहात तक अपनी पहुंच बना चुका है, जहां अपराधी स्थानीय युवाओं को मामूली लालच देकर एक व्यापक और खतरनाक नेटवर्क का हिस्सा बना रहे हैं।
जागरूकता ही बचाव
पुलिस ने आम लोगों से अपील की है कि वे कभी भी अपनी निजी जानकारी, बैंक पासबुक, एटीएम कार्ड या सिम कार्ड किसी अजनबी को न दें। अगर कोई किसी योजना के नाम पर बैंक खाता खुलवाने या दस्तावेज मांगता है, तो इसकी जानकारी तुरंत स्थानीय पुलिस या बैंक को दें।
कटिहार पुलिस की सतर्कता और जांच टीम की तत्परता से साइबर ठगी का एक बड़ा रैकेट सामने आया है, जो अब राज्य स्तर से ऊपर जाकर राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय खतरे की ओर इशारा करता है। यह मामला न सिर्फ बिहार, बल्कि पूरे देश में साइबर सुरक्षा और वित्तीय जागरूकता की गंभीर कमी को उजागर करता है।
अगर सही समय पर कार्रवाई नहीं होती, तो यह नेटवर्क और भी अधिक युवाओं को अपनी चपेट में ले सकता था। कटिहार पुलिस की यह कार्रवाई केवल एक गिरफ्तारी नहीं, बल्कि साइबर अपराध के खिलाफ एक बड़ी पहल है।