बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। इसी कड़ी में आज पटना में महागठबंधन (INDIA Bloc) के सभी प्रमुख घटक दलों की पहली औपचारिक और निर्णायक बैठक आयोजित की जा रही है। यह बैठक कई मायनों में अहम है, क्योंकि इसमें चुनावी रणनीति से लेकर मुख्यमंत्री पद के चेहरे तक के मसलों पर निर्णय लिए जाने की संभावना है।
तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर सहमति की उम्मीद
सूत्रों के अनुसार, बैठक का मुख्य एजेंडा तेजस्वी यादव को महागठबंधन का मुख्यमंत्री पद का आधिकारिक चेहरा घोषित करना है। हालांकि राजद (RJD) पहले ही तेजस्वी को अपना सीएम उम्मीदवार घोषित कर चुका है, लेकिन कांग्रेस और अन्य सहयोगी दलों की ओर से अब तक कोई आधिकारिक सहमति नहीं आई है। कांग्रेस के नेता इस मुद्दे पर फिलहाल ‘वेट एंड वॉच’ की रणनीति अपना रहे हैं।
बैठक में भाग लेने वाले प्रमुख नेता
आज दोपहर 1 बजे से पटना स्थित राजद प्रदेश कार्यालय में शुरू हो रही इस बैठक में राजद की ओर से नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, सांसद प्रो. मनोज झा, और संजय यादव मौजूद रहेंगे। कांग्रेस की तरफ से बिहार प्रभारी कृष्णा अल्लावरू और प्रदेश अध्यक्ष राजेश राम शिरकत करेंगे।
इसके अलावा भाकपा-माले, भाकपा और माकपा जैसे वाम दलों के वरिष्ठ नेता, साथ ही विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) के प्रमुख मुकेश सहनी भी बैठक में भाग लेंगे।
कौन नहीं होगा शामिल?
हाल ही में एनडीए से नाता तोड़ने वाले पशुपति कुमार पारस की पार्टी रालोजपा को इस बैठक में आमंत्रित नहीं किया गया है। रालोजपा के प्रवक्ता श्रवण अग्रवाल ने साफ किया कि पार्टी ने अब तक महागठबंधन में औपचारिक रूप से शामिल होने का निर्णय नहीं लिया है। इस तरह पारस की संभावित एंट्री पर फिलहाल विराम लगा हुआ है।
एजेंडा: साझा कार्यक्रम और सामूहिक रणनीति
बैठक का प्रमुख फोकस एनडीए को मात देने के लिए साझा कार्यक्रम तय करना है। सूत्रों के अनुसार, वक्फ कानून में संशोधन, 65 प्रतिशत आरक्षण जैसे जनप्रिय मुद्दों को चुनाव प्रचार में आक्रामक रूप से उठाया जाएगा। इसके अलावा महागठबंधन भविष्य की बैठकों का रोडमैप भी तय करेगा और संयुक्त रैलियों की योजना बनाई जाएगी।
विश्लेषण: तेजस्वी यादव का नेतृत्व तय, लेकिन कांग्रेस की भूमिका निर्णायक
महागठबंधन में राजद की स्थिति बेहद मजबूत है। 2020 के चुनाव में शानदार प्रदर्शन और ग्रामीण-शहरी दोनों इलाकों में तेजस्वी की स्वीकार्यता को देखते हुए, अन्य दलों के पास उनके नेतृत्व को चुनौती देने का विकल्प लगभग न के बराबर है।
कांग्रेस हालांकि अपनी स्वतंत्र राजनीतिक हैसियत बनाए रखने की कोशिश कर रही है, लेकिन जमीनी सच्चाई यही है कि बिहार में उसकी स्थिति बेहद कमजोर है। ऐसे में कांग्रेस के पास भी तेजस्वी के नेतृत्व को स्वीकार करने के अलावा विशेष विकल्प नहीं बचा है।
वाम दल पहले ही तेजस्वी यादव के नेतृत्व में चुनाव लड़ने का संकेत दे चुके हैं। वहीं वीआईपी जैसे छोटे दलों को भी राजनीतिक अस्तित्व बनाए रखने के लिए महागठबंधन की छतरी चाहिए।
आज की बैठक के बाद यह लगभग तय माना जा रहा है कि बिहार विधानसभा चुनाव 2025 में महागठबंधन तेजस्वी यादव के नेतृत्व में मैदान में उतरेगा। अब देखना यह दिलचस्प होगा कि भाजपा और एनडीए इस रणनीतिक मजबूती का मुकाबला करने के लिए कौन-सी नई चाल चलते हैं।