द्वितीय पुण्यतिथि: सादगी का स्वर, राजनीति का संतुलन, संगीत की साधना — मुक्तेश्वर उपाध्याय की विरासत अविस्मरणीय

आज तारीख वही है, लेकिन वक्त बदल गया है। मंच पर अब वो सादगी नहीं, वो तेज़ नहीं, और सबसे बड़ी बात—वो स्वर नहीं, जो किसी भी समारोह को आत्मा दे देता था। मुक्तेश्वर उपाध्याय, जिन्हें पूरा भोजपुरिया समाज श्रद्धा और स्नेह से “मुक्तेश्वर बाबा” कहकर पुकारता था, आज हमारे बीच नहीं हैं। लेकिन उनकी … Continue reading द्वितीय पुण्यतिथि: सादगी का स्वर, राजनीति का संतुलन, संगीत की साधना — मुक्तेश्वर उपाध्याय की विरासत अविस्मरणीय