बिहार की राजनीतिक और आध्यात्मिक भूमि एक बार फिर एक भव्य दृश्य की साक्षी बनी जब भारतीय जनता पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष दिलीप जायसवाल ने सोमवार को आरा की अधिष्ठात्री मां आरण्य देवी के दरबार में पहुंचकर विधिवत पूजा-अर्चना की। उनके इस श्रद्धापूर्ण दर्शन ने न केवल धार्मिक वातावरण को और भी ऊर्जावान किया, बल्कि प्रदेश की राजनीति में धर्म-संस्कृति के प्रति बढ़ती संवेदनशीलता को भी रेखांकित किया।
मां आरण्य देवी मंदिर ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी कृष्ण कुमार ने जानकारी दी कि मंदिर के पुजारी द्वारा पारंपरिक विधि-विधान से प्रदेश अध्यक्ष को पूजन कराया गया। पूजा के पश्चात दिलीप जायसवाल ने मां आरण्य देवी मंदिर विकास ट्रस्ट के कार्यालय में पहुंचकर ट्रस्ट परिवार के साथ संवाद किया। ट्रस्ट की ओर से उन्हें माता की चुनरी और चित्र भेंट कर सम्मानित किया गया, जिसे उन्होंने बड़े ही श्रद्धा भाव से स्वीकार किया।
मंदिर और समाज सेवा को जोड़ा संकल्प से
सम्मान समारोह के दौरान प्रदेश अध्यक्ष ने कहा,
“मां आरण्य देवी की कृपा मेरे जीवन में सदैव रही है। मैं यहां पहले भी आता रहा हूं और आगे भी नियमित रूप से आऊंगा। मंदिर के विकास और क्षेत्र की आध्यात्मिक ऊर्जा को संजोने के लिए जो भी सहयोग संभव होगा, उसे देने के लिए मैं प्रतिबद्ध हूं।”
इस मौके पर मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष रूपेश कुमार, भाजपा जिलाध्यक्ष दुर्गा राज, जीतू चौरसिया, रिशु कुमार समेत कई अन्य सामाजिक व धार्मिक कार्यकर्ता उपस्थित थे। सभी ने मंदिर के प्रति दिलीप जायसवाल की भावनाओं और योगदान की सराहना की।

जनवरी में भी दिया था आर्थिक सहयोग
उल्लेखनीय है कि इसी वर्ष जनवरी माह में भी दिलीप जायसवाल ने मां आरण्य देवी मंदिर में दर्शन किया था और मंदिर निर्माण व विकास के लिए ₹5 लाख की राशि बतौर सहयोग प्रदान की थी। यह न केवल एक राजनीतिक हस्ती का धार्मिक कर्तव्य है, बल्कि समाजसेवा और आध्यात्मिक उत्तरदायित्व का प्रतीक भी बन चुका है।

मां आरण्य देवी: आस्था की जीवंत प्रतीक
मां आरण्य देवी का मंदिर आरा की सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और ऐतिहासिक धरोहरों में से एक है। यहां प्रतिवर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। माना जाता है कि मां की कृपा से भक्तों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। ऐसे में मंदिर का विकास न केवल धार्मिक दृष्टि से, बल्कि स्थानीय पर्यटन और अर्थव्यवस्था के लिए भी लाभदायक साबित हो सकता है।
दिलीप जायसवाल जैसे वरिष्ठ नेता द्वारा बार-बार मां आरण्य देवी मंदिर में आकर नतमस्तक होना, वर्तमान राजनीति में संस्कृति, धर्म और समाज सेवा के त्रिकोणीय समन्वय की एक नई मिसाल प्रस्तुत करता है। जब धर्म और राजनीति का मेल न केवल आडंबर के लिए, बल्कि विकास और सेवा के उद्देश्य से हो, तो परिणाम निश्चित ही जनहितकारी और प्रेरणास्पद होता है।