दिल्ली। भारत की राजधानी दिल्ली में आज से शुरू हुआ एफआई इंडिया (FI India) का 19वां संस्करण और प्रोपैक इंडिया (ProPak India) का 7वां संस्करण देश के खाद्य और पैकेजिंग उद्योग के लिए एक ऐतिहासिक क्षण साबित हो रहा है। इस मंच ने वैश्विक और भारतीय स्तर पर काम कर रहे हितधारकों को एक साथ लाकर भविष्य की दिशा तय करने का अवसर प्रदान किया है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम
यह आयोजन केवल एक औद्योगिक एक्सपो भर नहीं है, बल्कि यह भारत की आत्मनिर्भर भारत (Atmanirbhar Bharat) की परिकल्पना को मजबूत करने वाला प्रयास भी है। यहाँ न केवल खाद्य प्रसंस्करण, पेय पदार्थ और पैकेजिंग से जुड़े इनोवेशन को प्रदर्शित किया गया है, बल्कि आपूर्ति श्रृंखला (Supply Chain) के आधुनिकीकरण और तकनीकी सहयोग पर भी खास ध्यान दिया गया है।
इस आयोजन ने यह साबित कर दिया कि भारत अब वैश्विक खाद्य और पैकेजिंग उद्योग का केवल उपभोक्ता ही नहीं, बल्कि उत्पादक और नवाचार का केंद्र भी बनने की ओर अग्रसर है।

उद्घाटन समारोह की झलक
कार्यक्रम की शुरुआत पारंपरिक गणेश वंदना के साथ हुई। इसके बाद मुख्य अतिथियों और विशेष आमंत्रित गणमान्य लोगों ने दीप प्रज्वलन और रिबन कटिंग कर एक्सपो का शुभारंभ किया।
इस मौके पर उद्योग जगत के प्रतिष्ठित नेता और सरकारी प्रतिनिधि उपस्थित रहे। मंच से सभी ने इस आयोजन को भारत के लिए एक “गेम चेंजर” करार दिया।
भारतीय खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र में हो रहा बड़ा बदलाव
इस अवसर पर इंफार्मा मार्केट्स इन इंडिया के प्रबंध निदेशक श्री योगेश मुदरास ने अपने संबोधन में कहा कि भारत का खाद्य प्रसंस्करण क्षेत्र वर्तमान समय में एक परिवर्तनकारी दौर से गुजर रहा है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि:
- उपभोक्ताओं में बढ़ती स्वास्थ्य चेतना के चलते बाजार का रुझान तेजी से बदल रहा है।
- जैविक और पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों (Organic & Plant-based Foods) की मांग में जबरदस्त वृद्धि हो रही है।
- आहार पैटर्न में बदलाव उपभोक्ता व्यवहार को नई दिशा दे रहा है।
- भारत का जैविक खाद्य बाजार 2025 तक ₹75,000 करोड़ तक पहुंचने का अनुमान है।
- उपभोक्ता अब स्वस्थ और टिकाऊ विकल्पों के लिए अतिरिक्त भुगतान करने को तैयार हैं।
उन्होंने आगे कहा कि उद्योग फल, सब्जियों और पौधों पर आधारित खाद्य पदार्थों में तेज़ी से बदलाव देख रहा है और ऐसे समय में एफआई इंडिया और प्रोपैक इंडिया जैसे आयोजन उद्योग को सही दिशा देने में बेहद महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं।

पैकेजिंग और सप्लाई चेन का महत्व
खाद्य और पेय उद्योग की सफलता केवल उत्पादन तक सीमित नहीं है, बल्कि उसकी सप्लाई चेन और पैकेजिंग तकनीक पर भी निर्भर करती है।
प्रोपैक इंडिया एक्सपो का फोकस विशेष रूप से इस पर रहा, जिसमें नवीनतम पैकेजिंग समाधान, टिकाऊ तकनीकें और आपूर्ति श्रृंखला को मजबूत बनाने वाले उपाय प्रदर्शित किए गए।
इससे न केवल उद्योग को आधुनिक तकनीक का अनुभव मिला, बल्कि पर्यावरण अनुकूल पैकेजिंग समाधानों पर भी गंभीर चर्चा हुई।
वैश्विक नेटवर्किंग का मंच
एफआई इंडिया और प्रोपैक इंडिया एक्सपो केवल प्रदर्शनी भर नहीं, बल्कि यह एक वैश्विक नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म है।
- इसमें विभिन्न देशों के उद्योग जगत के नेता, कंपनियां और निवेशक शामिल हुए।
- एक्सपो ने भारतीय कंपनियों को वैश्विक साझेदारों के साथ जुड़ने और नए व्यापारिक अवसर खोजने का मौका दिया।
- अंतर्राष्ट्रीय निवेशकों ने भारत की विशाल जनसंख्या और बढ़ते उपभोक्ता बाजार को देखते हुए गहरी रुचि दिखाई।
भविष्य की संभावनाएँ
यह आयोजन स्पष्ट रूप से दिखाता है कि आने वाले वर्षों में भारत खाद्य और पैकेजिंग उद्योग का वैश्विक हब बनने की क्षमता रखता है।
- स्वास्थ्य और टिकाऊ खाद्य विकल्पों की मांग लगातार बढ़ेगी।
- पैकेजिंग उद्योग में तकनीकी नवाचार भारत को प्रतिस्पर्धी बनाएगा।
- छोटे और मध्यम उद्योगों (SMEs) को भी इस मंच से वैश्विक बाजार में प्रवेश करने का अवसर मिलेगा।
एफआई इंडिया और प्रोपैक इंडिया 2025 सिर्फ़ एक प्रदर्शनी नहीं, बल्कि यह भारत की बदलती आर्थिक और औद्योगिक तस्वीर का प्रतीक है। यह आयोजन साबित करता है कि भारत अब केवल खाद्य उपभोक्ता देश नहीं रहा, बल्कि नवाचार, उत्पादन और निर्यात के क्षेत्र में भी अग्रणी भूमिका निभाने को तैयार है।
इस एक्सपो ने यह संदेश दिया कि अगर सरकार, उद्योग और उपभोक्ता मिलकर काम करें तो भारत आने वाले समय में न सिर्फ आत्मनिर्भर होगा बल्कि दुनिया का नेतृत्व भी कर सकता है।
Report : विनोद रस्तोगी