Friday, September 5, 2025
spot_img
spot_img

Top 5 This Week

सड़कें बनी जाम का अखाड़ा, प्रशासन बेबस—पुलिस-प्रशासन की मिलीभगत से पनप रहा है बालू माफिया राज।

बिहार की सड़कों पर इन दिनों एक अनवरत आपदा का दृश्य देखने को मिल रहा है—जिसे प्रशासनिक उदासीनता, माफियागिरी और व्यवस्था के चरमराते ढांचे ने जन्म दिया है। बात हो रही है सोन नदी की बालू लदी ट्रकों की बेतरतीब आवाजाही से उत्पन्न होने वाले भीषण महाजाम की, जिसने पटना से लेकर औरंगाबाद तक के पूरे ट्रांसपोर्ट कॉरिडोर को मानो बंधक बना लिया है।

यह कोई क्षणिक समस्या नहीं, बल्कि वर्षों से चल रहा एक ऐसा सिलसिला बन चुका है जो अब आम जनजीवन के लिए अभिशाप बन चुका है। पटना, बिहटा, दुल्हिन बाजार, बिक्रम, पालीगंज, महाबलीपुर, अरवल, दाउदनगर, औरंगाबाद सहित लगभग आधा दर्जन से अधिक जिलों की सड़कें हर रोज हजारों की संख्या में रेंगते बालू लदे ट्रकों के कारण महाजाम का शिकार बन रही हैं।

व्यवस्था की विफलता और ‘भगवान भरोसे’ प्रशासन

स्थानीय पुलिस और अनुमंडल प्रशासन की स्थिति बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। वीवीआईपी मूवमेंट के अवसरों को छोड़ दें तो आम दिनों में ट्रैफिक नियंत्रण नाममात्र का ही दिखता है। सड़कें महीनों से दम तोड़ चुकी हैं और यातायात व्यवस्था भगवान भरोसे है। प्रशासनिक दावों और कार्यवाहियों का हाल यह है कि वे कुछ समय के लिए केवल दिखावे की मुहिम चलाकर पुनः निष्क्रियता में लौट जाते हैं।

बालू, ट्रक और धर्मकांटा: अवैध कमाई का त्रिकोण

इस संकट की सबसे गहरी जड़ें उस अवैध तंत्र में हैं, जो बालू खनन और लोडिंग के नाम पर फलफूल रहा है। धर्मकांटों की भरमार हो चुकी है, जहां एक ही चालान पर बार-बार ओवरलोडिंग कर ट्रक रवाना किए जाते हैं। इन धर्मकांटों का संचालन न केवल नियमों की खुली धज्जियां उड़ाता है, बल्कि स्थानीय पुलिस और माफियाओं के बीच सांठगांठ की भी पोल खोलता है।

धर्मकांटा, जो कभी माप-तौल का प्रतीक होता था, आज ‘अधर्मकांटा’ बन चुका है—जहां वजन से ज़्यादा तौला जाता है रुपया। इन स्थानों पर ट्रकों से होने वाली अवैध वसूली ने पटना से लेकर सोन नदी के तटवर्ती जिलों तक एक समानांतर भ्रष्ट प्रशासनिक तंत्र की नींव रख दी है।

प्रशासनिक चूक या मिलीभगत?

प्रश्न यह उठता है कि राज्य सरकार और जिला प्रशासन इस गंभीर समस्या से निपटने में असफल क्यों हो रहे हैं? क्या यह केवल प्रशासनिक अक्षमता है, या इसके पीछे माफिया-प्रशासन गठजोड़ की वह परतें हैं जो हर स्तर पर पारदर्शिता की मांग को दबा देती हैं?

वास्तविकता यह है कि यह संकट अब केवल यातायात का नहीं रहा, बल्कि यह प्रशासनिक चरमराहट, विधि-व्यवस्था की गिरावट और राजनीतिक अनिच्छा का स्पष्ट संकेत बन चुका है। महाजाम में फंसे हुए आमजन, स्कूली बच्चे, एंबुलेंस, व्यापारी वर्ग और कामकाजी तबका हर दिन मानसिक और शारीरिक प्रताड़ना झेल रहे हैं।

राज्य सरकार के लिए यह समय आत्मचिंतन का है। क्या बालू खनन से होने वाला राजस्व आम जनता की पीड़ा से अधिक महत्वपूर्ण है? क्या अवैध ट्रकों से हो रही कमाई, सरकारी तंत्र को इस हद तक पंगु बना चुकी है कि अब कोई कठोर निर्णय लेने की स्थिति में नहीं बचा?

समाधान की दिशा में कुछ आवश्यक कदम इस प्रकार हो सकते हैं:

  1. डिजिटल ट्रैकिंग सिस्टम: हर बालू चालान को GPS ट्रैकिंग से जोड़ा जाए जिससे अवैध ओवरलोडिंग की पहचान हो सके।
  2. संयुक्त जांच दल: स्थानीय प्रशासन, खनन विभाग और ट्रैफिक पुलिस की संयुक्त निगरानी टीम स्थापित हो।
  3. धर्मकांटों की ऑडिटिंग: सभी धर्मकांटों की पारदर्शी जांच और गैरकानूनी संचालन पर तत्काल रोक।
  4. प्रशासनिक जवाबदेही: थाना स्तर से लेकर जिला स्तर तक जिम्मेदार अधिकारियों की जवाबदेही तय हो।

एक प्रशासनिक परीक्षा

बालू लदे ट्रकों की आंख मिचौली से उत्पन्न महाजाम की यह त्रासदी केवल एक भौगोलिक संकट नहीं, बल्कि यह एक गहरी राजनीतिक और प्रशासनिक परीक्षा है। आज नहीं तो कल, राज्य सरकार को इस पर निर्णय लेना ही होगा—वरना बालू का यह सुनहरा व्यापार बिहार की छवि और जनता के धैर्य को पूरी तरह से धूल में मिला देगा।

अब सवाल यही है: क्या सरकार जनता के हितों को प्राथमिकता देगी या फिर बालू माफिया के हितों की रक्षा करती रहेगी?

Amlesh Kumar
Amlesh Kumar
अमलेश कुमार Nation भारतवर्ष में सम्पादक है और बीते ढाई दशक से प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक पत्रकारिकता जगत की अनुभव के साथ पंजाब केशरी दिल्ली से शुरुवात करते हुए दिनमान पत्रिका ,बिहारी खबर, नवबिहार, प्रभात खबर के साथ साथ मौर्य टीवी, रफ्तार टीवी,कशिश न्यूज, News4Nation जैसे मीडिया हाउस में काम करते राजनीति, क्राइम, और खेल जैसे क्षेत्रों में बेबाक और बेदाग पत्रकारिता के लिए जाने जाते है।

Popular Articles

The content on this website is protected by copyright. Unauthorized copying, reproduction, or distribution is strictly prohibited.