बिहार के मोहनिया अनुमंडलीय अस्पताल में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करना पत्रकारों के लिए अब गुनाह बनता जा रहा है। अस्पताल की सच्चाई सामने लाने वाले निर्भीक पत्रकारों को अब झूठे मामलों में फंसाने की गहरी साजिश रची जा रही है। आरोप है कि कुछ चिकित्सक और स्वास्थ्यकर्मी पुलिस अधिकारियों की मिलीभगत से पत्रकारों पर मनगढ़ंत केस दर्ज कराने की कोशिश कर रहे हैं, जिससे जिले के पत्रकारों में गहरा आक्रोश है।
डाकबंगला में पत्रकारों की आपात बैठक, एकजुटता का प्रदर्शन
इस पूरे घटनाक्रम के विरोध में मंगलवार को मोहनिया के प्रमुख पत्रकारों ने डाकबंगला में एक आपात बैठक कर एकजुटता दिखाई। बैठक की अध्यक्षता हिंदुस्तान के वरिष्ठ संवाददाता डॉ. लक्ष्मण शरण सिंह ने की। उन्होंने कहा,
“जब पत्रकार सच को उजागर करते हैं, तब प्रशासनिक व्यवस्था के कुछ चेहरे बेनकाब होते हैं और यही कारण है कि अब पत्रकारों को डराने और झूठे मामलों में फंसाने की चाल चली जा रही है।”

झूठे मुकदमे का शिकार बना पत्रकार, अस्पताल कर्मियों की बदले की भावना उजागर
हाल ही में एक वरिष्ठ पत्रकार द्वारा अस्पताल में हुई अनियमितताओं की रिपोर्टिंग के बाद कुछ स्वास्थ्यकर्मियों का तबादला किया गया था। लेकिन कुछ ही समय बाद वे दोबारा उसी अस्पताल में तैनात हो गए। अब वही कर्मचारी, कुछ पुलिसकर्मियों की मदद से, उस पत्रकार को फर्जी मुकदमे में फंसाने की कोशिश कर रहे हैं।
“लोकतंत्र के चौथे स्तंभ की हत्या” – पत्रकारों का रोष
प्रभात खबर के वरिष्ठ पत्रकार संजय जायसवाल ने घटना की निंदा करते हुए कहा:
“हम चौथे स्तंभ हैं। जब हमारी आवाज को दबाने की कोशिश होती है, तो यह लोकतंत्र की हत्या के समान है। जिस पत्रकार को निशाना बनाया गया, वह पूरी निष्ठा से जनहित में काम कर रहे थे।”
वहीं दैनिक जागरण के अनुभवी पत्रकार अजीत कुमार पांडेय ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि पुलिस और प्रशासन ऐसे झूठे मामलों को बढ़ावा देती है, तो पत्रकार चुप नहीं बैठेंगे।
“यह प्रेस की आज़ादी पर सीधा हमला है, जिसे बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।”

महिला कर्मियों को बनाया जा रहा ढाल, साजिश गहरी
बैठक में यह भी खुलासा हुआ कि कुछ महिला कर्मियों को ढाल बनाकर पत्रकारों पर झूठे यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाने की योजना बनाई जा रही है, ताकि सच्चाई को कुचला जा सके। पत्रकारों ने इसे लोकतंत्र की जड़ों पर प्रहार करार दिया।
एसपी और सीएस से मिलेगा पत्रकारों का शिष्टमंडल
पत्रकारों ने तय किया है कि वे जल्द ही कैमूर के पुलिस अधीक्षक हरि मोहन शुक्ला और सिविल सर्जन डॉ. चंदेश्वरी रजक से मिलकर साजिशकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई की मांग करेंगे।
न्याय नहीं मिला तो होगा आंदोलन
पत्रकारों ने स्पष्ट किया कि यदि उचित न्याय नहीं मिला और साजिशकर्ताओं पर कार्रवाई नहीं की गई, तो वे शांतिपूर्ण आंदोलन के लिए बाध्य होंगे। पत्रकारों का कहना है कि वे कलम की ताकत से लड़ते रहेंगे और सच्चाई को दबने नहीं देंगे।
बैठक में शामिल रहे ये प्रमुख पत्रकार
इस निर्णायक बैठक में डॉ. लक्ष्मण शरण सिंह, संजय जायसवाल, अजीत कुमार पांडेय, विनोद कुमार सिंह, दैनिक भास्कर के राकेश कुमार सिंह, चंदन सिंह, देवब्रत तिवारी, पब्लिक ऐप के अजय कुमार सिंह, मोहम्मद इब्राहिम, मीर जलालुद्दीन, शिवकुमार भारती, सोनू तिवारी सहित कई पत्रकार मौजूद रहे।
जब कलम सच्चाई को छूती है, तो सत्ता की नींव हिलती है। लेकिन अगर सत्ता ही साजिश बन जाए, तो सवाल लोकतंत्र की आत्मा पर उठता है। मोहनिया की यह घटना न केवल स्थानीय पत्रकारों के लिए, बल्कि समूचे देश के मीडिया के लिए एक चेतावनी है।