राजनीति अक्सर सत्ता, रणनीति और संघर्ष की कहानियों से भरी होती है, लेकिन कभी-कभी इसी राजनीति की कठोर ज़मीन पर एक बेहद कोमल, भावुक और दिल छू लेने वाली प्रेम कहानी भी जन्म लेती है। बिहार की राजनीति के सबसे चर्चित युवा चेहरा तेजस्वी यादव की प्रेम कहानी ऐसी ही एक मिसाल बन गई है — एक ऐसी कहानी, जो बचपन की दोस्ती से शुरू हुई, हज़ारों रुकावटें झेलती हुई आगे बढ़ी, और आज एक प्यारे से परिवार के रूप में सबके सामने है।
बचपन की दोस्ती से जीवनसाथी बनने तक
तेजस्वी यादव और राजश्री यादव की कहानी दिल्ली के आर.के.पुरम स्थित डीपीएस स्कूल से शुरू होती है। यहीं से दोनों की दोस्ती की नींव पड़ी। स्कूल की वो मासूम दोस्ती कब गहरी मोहब्बत में बदल गई, शायद खुद उन्हें भी पता नहीं चला। राजश्री तब रेचल गोडिन्हो हुआ करती थीं — एक स्मार्ट, आत्मनिर्भर और तेजस्वी की बराबरी की सोच रखने वाली युवती, जो एक ईसाई परिवार से थीं और एयर होस्टेस के रूप में कार्यरत थीं।
सियासत और समाज की दीवारें
तेजस्वी ने जब इस रिश्ते को शादी में बदलने का फैसला लिया, तब उनके सामने कई दीवारें थीं — धर्म की, संस्कृति की, और सबसे बड़ी दीवार सियासी परिवार की सोच की। लालू यादव को इस रिश्ते से शुरुआत में संकोच था। बिहार के पारंपरिक राजनीतिक घराने में किसी ईसाई लड़की को बहू के रूप में स्वीकार करना आसान नहीं था।
लेकिन तेजस्वी ने हार नहीं मानी। उन्होंने करीब 44 हजार शादी के प्रस्तावों को ठुकरा दिया, जो उनके डिप्टी सीएम बनने के बाद सोशल मीडिया से लेकर हर ओर से आए थे। लेकिन तेजस्वी की नजरें किसी और को नहीं, अपनी बचपन की दोस्त को ही जीवनसाथी बनाने पर टिकी थीं।
फिल्मी सीन से कम नहीं थी शादी
अंततः दिसंबर 2021 में दिल्ली में मीसा भारती के फार्महाउस में बेहद निजी समारोह में दोनों ने सात फेरे लिए। शादी के बाद रेचल ने अपना नाम बदलकर राजश्री यादव रख लिया। यह नामकरण केवल सामाजिक स्वीकार्यता नहीं, बल्कि उस रिश्ते को सम्मान देने का एक प्रयास था, जो सभी चुनौतियों के बाद कायम रहा।
परिवार में आई नई रौनक
तेजस्वी और राजश्री की एक बेटी है — कात्यायनी, जिसका जन्म एक साल पहले हुआ था। और अब, मई 2025 में उनके घर एक बेटे ने जन्म लिया है। ये खुशखबरी खुद तेजस्वी यादव ने सोशल मीडिया के जरिए साझा की। नन्हे मेहमान के आगमन से लालू परिवार में बीते दिनों के तनाव और कलह के बाद सुकून की एक ठंडी हवा बहने लगी है।
कोलकाता में हुआ जन्म, नेताओं ने दी बधाई
नवजात बेटे का जन्म कोलकाता के एक निजी अस्पताल में हुआ, जहां फिलहाल राजश्री और लालू परिवार मौजूद हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी खुद अस्पताल पहुंची और नवजात को आशीर्वाद दिया। लालू और राबड़ी देवी को एक बार फिर दादा-दादी बनने की बधाई दी।
परिवार में टकराव, लेकिन भतीजे ने लाया सुकून
तेजप्रताप यादव, जो हाल ही में अपनी निजी जिंदगी को लेकर चर्चा में थे और जिनके परिवार और पार्टी से दूरी की खबरें आई थीं, उन्होंने भी इस मौके पर अपने सोशल मीडिया पर पोस्ट कर लिखा:
“श्री बांके बिहारी जी के आशीर्वाद से मुझे बड़े पापा बनने का सौभाग्य मिला। छोटे भाई तेजस्वी और राजश्री को हार्दिक शुभकामनाएं।”
यह संदेश न केवल एक पारिवारिक एकता की उम्मीद देता है, बल्कि बताता है कि राजनीति में भले मतभेद हों, लेकिन रिश्तों की गर्माहट कभी पूरी तरह खत्म नहीं होती।
प्यार, धैर्य और संघर्ष की मिसाल
तेजस्वी और राजश्री की प्रेम कहानी उस सच्चाई को उजागर करती है जिसे आज की पीढ़ी जानना चाहती है — कि सच्चा प्यार धर्म, समाज और सियासत की हर दीवार को तोड़ सकता है। ये कहानी केवल एक प्रेम विवाह नहीं, बल्कि एक नए सामाजिक बदलाव का प्रतीक है, जहां एक राजनेता सिर्फ सत्ता नहीं, बल्कि अपने दिल की भी सुनता है।
लालू परिवार में जन्मे इस नए नन्हे कन्हैया के साथ एक नई उम्मीद और खुशी की शुरुआत हुई है। राजनीति के शोर में यह प्रेम कहानी एक मधुर ध्वनि बनकर सामने आई है — जो कहती है, “राजनीति में भी प्यार होता है… और वो भी बेइंतहा।” ❤️