राजधानी पटना से सटे ग्रामीण इलाकों में दहशत का पर्याय बन चुका कुख्यात अपराधी नुनू सिंह उर्फ राजेश सिंह आखिरकार पुलिस के हत्थे चढ़ ही गया। बिक्रम थाना क्षेत्र के मोरियावा गांव में एक बड़ी आपराधिक वारदात को अंजाम देने की योजना बना रहे नुनू सिंह को पुलिस ने रंगे हाथ देसी कट्टा और कारतूस के साथ गिरफ्तार कर लिया, जबकि उसके कई साथी अंधेरे का फायदा उठाकर फरार होने में सफल रहे।
पालीगंज अनुमंडल अंतर्गत बिक्रम थाने की इस कार्रवाई को पटना पुलिस की बड़ी कामयाबी माना जा रहा है, क्योंकि यह अपराधी बीते कई वर्षों से फरार चल रहा था और पुलिस के लिए चुनौती बना हुआ था।
गुप्त सूचना के बाद हुई कार्रवाई
पालीगंज डीएसपी-2 उमेश्वर चौधरी ने बताया कि बिक्रम थाना पुलिस को शुक्रवार देर रात गुप्त सूचना मिली थी कि मोरियावा गांव के हनुमान मंदिर के पास कुछ संदिग्ध अपराधी एकत्रित होकर किसी बड़ी वारदात की योजना बना रहे हैं। सूचना की पुष्टि होते ही थाना प्रभारी ने त्वरित कार्रवाई करते हुए पुलिस टीम के साथ घटनास्थल की ओर कूच किया।
जैसे ही पुलिस ने इलाके की घेराबंदी शुरू की, अपराधी भागने लगे। पुलिस बल ने तत्काल कार्रवाई करते हुए पीछा किया और इसी दौरान एक अपराधी को मौके पर ही पकड़ लिया गया। बाद में उसकी पहचान नुनू सिंह के रूप में हुई।
हथियार और कारतूस बरामद
पकड़े गए नुनू सिंह की तलाशी लेने पर एक लोडेड देसी कट्टा, चार जिंदा कारतूस, और एक अतिरिक्त कारतूस पुलिस ने बरामद किया। पुलिस ने मौके पर जब्त किए गए सभी हथियारों को कब्जे में लेकर विधिवत कार्रवाई शुरू कर दी है।
पालीगंज डीएसपी उमेश्वर चौधरी ने प्रेस को जानकारी देते हुए कहा,
“नुनू सिंह की गिरफ्तारी पुलिस के लिए एक बड़ी उपलब्धि है। इस गिरफ्तारी से बिक्रम और आसपास के इलाकों में अपराध का नेटवर्क काफी हद तक कमजोर होगा। वर्षों से यह अपराधी कई संगीन मामलों में शामिल रहा है और कई बार वारदातों को अंजाम देकर फरार हो गया था।”
आपराधिक इतिहास: दर्जनों केसों में वांछित था नुनू सिंह
जानकारी के अनुसार, नुनू सिंह पर पटना जिले के विभिन्न थानों में दर्जनों आपराधिक मामले दर्ज हैं। इनमें हत्या, लूट, रंगदारी, अपहरण और अवैध हथियार रखने जैसे संगीन अपराध शामिल हैं। वह लंबे समय से पुलिस की आंखों में धूल झोंककर फरार चल रहा था और बिक्रम से लेकर मनेर, बिहटा, नौबतपुर, और दुल्हिनबाजार तक उसके अपराध का नेटवर्क सक्रिय था।
स्थानीय लोग उसे “आतंक का दूसरा नाम” कहने लगे थे। उसकी गिरफ्तारी से क्षेत्र के आम लोगों ने राहत की सांस ली है।
फरार साथियों की तलाश जारी
इस ऑपरेशन में नुनू सिंह तो पुलिस की गिरफ्त में आ गया, लेकिन उसके अन्य साथी अंधेरे और स्थानीय भूगोल का लाभ उठाते हुए फरार हो गए। पुलिस उनकी पहचान करने और गिरफ्तारी के प्रयास में जुटी हुई है।
डीएसपी चौधरी ने बताया कि,
“फरार अपराधियों की पहचान की जा रही है और जल्द ही उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया जाएगा। क्षेत्र में कानून-व्यवस्था बनाए रखने के लिए सघन पेट्रोलिंग और छापेमारी अभियान चलाया जा रहा है।”
स्थानीय लोगों में भरोसा, प्रशासन को मिली राहत
इस गिरफ्तारी के बाद बिक्रम और उसके आसपास के गांवों में पुलिस के प्रति विश्वास बढ़ा है। लंबे समय से आतंक झेल रहे ग्रामीणों ने राहत की सांस ली है। नुनू सिंह की गिरफ़्तारी से यह स्पष्ट संकेत मिला है कि पुलिस अब संगठित अपराध पर कड़ी कार्रवाई के मूड में है।
पालीगंज एसडीपीओ और बिक्रम थानाध्यक्ष की टीम को पटना जिला पुलिस मुख्यालय द्वारा इस सफल अभियान के लिए बधाई दी गई है। पुलिस अधीक्षक ने भी कहा है कि अब कानून व्यवस्था में और सुधार लाया जाएगा तथा अपराधियों के खिलाफ अभियान और तेज़ किया जाएगा।
पटना के ग्रामीण क्षेत्र में कानून का राज स्थापित करने के लिए यह एक अहम कदम माना जा रहा है। वर्षों से फरार और कई वारदातों का मास्टरमाइंड रह चुका नुनू सिंह अब पुलिस की गिरफ्त में है, और उसके आगे की आपराधिक गतिविधियों पर पूर्ण विराम लगता नजर आ रहा है।
पुलिस अब इस गिरोह के अन्य सदस्यों को पकड़ने के लिए रणनीतिक स्तर पर काम कर रही है। यह घटना न केवल पुलिस की सतर्कता का उदाहरण है, बल्कि आम नागरिकों के लिए यह भरोसे का संदेश भी है कि अब अपराधियों के लिए कोई जगह नहीं बची है।