बिहार के भोजपुर जिले के आरा में रविवार एक वीभत्स घटना ने पूरे इलाके को स्तब्ध कर दिया। सासाराम से पटना जा रही एक पैसेंजर ट्रेन में सफर कर रही 20 वर्षीय युवती तनु कुमारी को मोबाइल छीनने की कोशिश में असफल रहने पर बदमाशों ने चलती ट्रेन से नीचे फेंक दिया। यह दर्दनाक घटना आरा रेलवे स्टेशन से कुछ ही दूरी पर पश्चिमी ओवरब्रिज के पास हुई। पीड़िता फिलहाल गंभीर अवस्था में आरा सदर अस्पताल में भर्ती है, जहां उसके सिर, पीठ और सीने में गंभीर चोटें आई हैं।
घटनाक्रम: चलती ट्रेन में सवार था एक बदमाश, दूसरा बाहर इंतज़ार कर रहा था
पीड़िता तनु कुमारी, पीरो थाना क्षेत्र के फतेहपुर गांव निवासी कामेश्वर सिंह की बेटी है। उसके भाई शशि रंजन कुमार ने बताया कि वह चेहरे की दवा लेने के लिए होम्योपैथी डॉक्टर से मिलने आरा जा रही थी। उसने सुबह पीरो स्टेशन से सासाराम-पटना पैसेंजर ट्रेन पकड़ी थी। ट्रेन जैसे ही आरा स्टेशन के नज़दीक पश्चिमी ओवरब्रिज पर पहुँची, तभी पहले से ट्रेन में सवार बदमाश ने मोबाइल छीनने की कोशिश की।
जब तनु ने विरोध किया, तो बदमाश ने उसे ट्रेन से धक्का दे दिया। जैसे ही वह नीचे गिरी, उसके दूसरे साथी ने मौके से मोबाइल लेकर फरार हो गया। युवती लगभग 20 मिनट तक रेलवे ट्रैक पर लहूलुहान अवस्था में पड़ी रही, लेकिन किसी यात्री ने आपातकालीन ब्रेक नहीं खींचा। बाद में स्थानीय लोगों की सूचना पर डायल-112 की पुलिस मौके पर पहुँची और तनु को अस्पताल पहुँचाया।
रेलवे प्रशासन हरकत में, CCTV से सुराग तलाश रही पुलिस
घटना की सूचना मिलते ही रेलवे प्रशासन में हड़कंप मच गया। रेल एसपी अमृतेंदु शेखर ठाकुर, एडिशनल एसपी प्रशांत कुमार और असिस्टेंट कमांडेंट अली हसन तुरंत अस्पताल पहुँचे और पीड़िता से मुलाकात कर बयान दर्ज किया। कमांडेंट अली हसन ने बताया कि पीड़िता से मिली जानकारी के आधार पर सीसीटीवी कैमरे खंगाले जा रहे हैं और ट्रेन में चढ़ने वाले संदिग्धों की पहचान की जा रही है।
एडिशनल एसपी प्रशांत कुमार ने प्रारंभिक बयान में कहा, “ट्रेन से फेंकने की सूचना मेरे पास अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन घटना की गहन जांच की जा रही है। चोरी और हमला करने वाले आरोपियों की पहचान जल्द होगी।”
अपराध की पृष्ठभूमि: रेलवे यात्रियों के लिए बनता जा रहा है भय का माहौल
यह घटना कोई पहला मामला नहीं है जब बिहार में रेलवे यात्री अपराधियों के निशाने पर आए हों। पिछले कुछ वर्षों में कई बार यात्रियों से मोबाइल, चेन, पर्स या अन्य कीमती सामान लूटने की घटनाएं सामने आ चुकी हैं, लेकिन चलती ट्रेन से धक्का देकर हत्या का प्रयास दुर्लभ और भयावह है।
इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि क्या रेलवे सुरक्षा बल और GRP यात्रियों की सुरक्षा में पूरी तरह नाकाम साबित हो रहे हैं?
विशेषज्ञों का मानना है कि पैसेंजर ट्रेनों में सुरक्षा का अभाव और निगरानी की कमी अपराधियों को ऐसे दुस्साहसिक वारदात को अंजाम देने के लिए उकसाती है। बदमाशों के लिए ट्रेनें अब लूट का आसान माध्यम बनती जा रही हैं।
पीड़िता की स्थिति गंभीर, न्याय और सुरक्षा की गुहार
डॉक्टरों के अनुसार तनु कुमारी की हालत गंभीर बनी हुई है। उसे सिर में गहरी चोट आई है, वहीं पीठ और छाती में भी जख्म हैं। फिलहाल उसे निगरानी में रखा गया है। परिवार वालों ने प्रशासन से मांग की है कि आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर कड़ी से कड़ी सजा दी जाए।
क्या रेलवे सुरक्षा महज़ एक औपचारिकता बनकर रह गई है?
इस घटना ने बिहार की रेलवे सुरक्षा व्यवस्था की गंभीर खामियों को उजागर कर दिया है। जब एक साधारण युवती अपने इलाज के लिए ट्रेन से यात्रा करने में सुरक्षित महसूस नहीं कर सकती, तो यह पूरे सिस्टम के लिए एक चेतावनी है।
सरकार और रेलवे को चाहिए कि पैसेंजर ट्रेनों में RPF और GRP की उपस्थिति अनिवार्य की जाए, CCTV निगरानी प्रणाली को मजबूत किया जाए और ट्रेन स्टेशनों के पास सक्रिय गश्त बढ़ाई जाए।
यह मामला सिर्फ एक लड़की पर हमला नहीं है — यह हमारी सामूहिक असंवेदनशीलता और सिस्टम की निष्क्रियता पर एक करारा तमाचा है।