केंद्रीय जांच ब्यूरो (CBI) की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) ने एक बड़ी और बेहद गोपनीय कार्रवाई करते हुए दरभंगा एयरफोर्स स्टेशन पर तैनात सहायक गैरीसन इंजीनियर (सिविल) कौशलेश कुमार को ₹50,000 रिश्वत लेते हुए रंगे हाथ गिरफ्तार किया। यह गिरफ्तारी दरभंगा एयरफोर्स स्टेशन के कार्यालय में हुई, जहां वह सड़क निर्माण के बिलों के भुगतान और कार्य की नपाई के बदले घूस मांग रहा था। इस हाई-प्रोफाइल गिरफ्तारी ने न केवल एक भ्रष्टाचार के गहरे नेटवर्क को उजागर किया, बल्कि सैन्य परिसर में फैले भ्रष्टाचार के गंभीर स्तर को भी सामने ला दिया है। यह कार्रवाई उस समय हुई जब एक ठेकेदार ने इस भ्रष्टाचार की शिकायत CBI से की थी, और उसके बाद जांच की दिशा में महत्वपूर्ण खुलासे हुए।
CBI को मिली शिकायत और साजिश का पर्दाफाश
सीबीआई को इस घोटाले की सूचना एक ठेकेदार से मिली थी, जिन्होंने आरोप लगाया था कि कौशलेश कुमार सड़क निर्माण से संबंधित बिलों के भुगतान और कार्य की नपाई के बदले रिश्वत मांग रहा था। यह भ्रष्टाचार पहले कुछ हफ्तों तक चुपके से चलता रहा, लेकिन ठेकेदार ने अंततः CBI से शिकायत की, जिससे जांच की प्रक्रिया तेज हुई। इस शिकायत के आधार पर, सीबीआई ने तुरंत कार्रवाई शुरू की और सत्यापन के बाद पाया कि ठेकेदार के आरोप सही थे। ठेकेदार ने CBI को बताया कि कौशलेश कुमार ने रिश्वत की राशि को किस्तों में देने की पेशकश की थी, और इसे स्वीकार भी कर लिया था। इसके बाद, CBI ने एक सुनियोजित और गोपनीय ऑपरेशन की योजना बनाई और पूरी कार्रवाई को बेहद सावधानी से अंजाम दिया।
सीबीआई की एसीबी टीम ने कैसे किया ऑपरेशन
सीबीआई की एंटी करप्शन ब्यूरो (ACB) टीम ने इस ऑपरेशन को एकदम गुप्त तरीके से और चतुराई से अंजाम दिया। टीम के कुछ अधिकारी मजदूरों के वेश में एयरफोर्स स्टेशन परिसर में घुस गए, जबकि दूसरी टीम परिसर के बाहर गेट पर निगरानी कर रही थी। जैसे ही कौशलेश कुमार ने ₹50,000 की रिश्वत स्वीकार की, CBI ने उसे रंगे हाथ पकड़ लिया।
गिरफ्तारी के बाद, जब CBI की दूसरी टीम परिसर में प्रवेश करने की कोशिश कर रही थी, तो गेट पर तैनात सुरक्षा इंचार्ज के साथ तीखी बहस हुई। इस दौरान, सीबीआई अधिकारियों के साथ कथित दुर्व्यवहार की भी शिकायत दर्ज की गई है। बावजूद इसके, सीबीआई की टीम ने अपनी योजना के तहत पूरी कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दिया और इस भ्रष्ट अधिकारी को पकड़ा।
सीबीआई की छापेमारी: 63 लाख रुपये की नकदी और अवैध संपत्तियों का खुलासा
गिरफ्तारी के बाद, सीबीआई की टीम ने कौशलेश कुमार के MES (मिलिट्री इंजीनियरिंग सर्विसेज) क्षेत्र, एयरफोर्स स्टेशन कार्यालय और दरभंगा स्थित उनके आवास पर तलाशी ली। तलाशी में कई अहम दस्तावेज और अवैध संपत्ति मिली। सीबीआई को कौशलेश कुमार के नाम पर 63,11,651 रुपये की जमा राशि विभिन्न बैंकों में मिली। इसके साथ ही, ₹6 लाख रुपये से अधिक मूल्य की दो संपत्तियों के दस्तावेज भी जब्त किए गए। इन संपत्तियों में एक घर और एक व्यावसायिक संपत्ति शामिल हैं। इसके अलावा, एक हुंडई कार, स्कूटी और महंगे आभूषण भी उसके घर से मिले, जो उसके द्वारा अर्जित अवैध संपत्ति को और पुख्ता करते हैं।
इन बरामदगियों ने यह संकेत दिया कि कौशलेश कुमार ने संभवतः लंबे समय तक रिश्वत लेकर और भ्रष्टाचार के जरिए अवैध संपत्ति अर्जित की थी। इस जांच से यह भी स्पष्ट होता है कि वह एक संगठित तरीके से रिश्वत लेकर अपना नेटवर्क चला रहा था, जिसका दायरा कहीं अधिक हो सकता है।
CBI ने दर्ज किया FIR, अब जांच गहराई में
इस कार्रवाई के बाद, CBI ने कौशलेश कुमार के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। साथ ही, CBI यह भी जांच कर रही है कि इस भ्रष्टाचार में और कौन-कौन से अधिकारी या कर्मचारी शामिल थे। सीबीआई की एसीबी टीम की प्राथमिक जांच के दौरान यह भी पाया गया कि कौशलेश कुमार के कामकाजी क्षेत्र में कई अन्य कर्मचारी भी भ्रष्टाचार के दलदल में फंसे हुए हो सकते हैं, जिसके बारे में अब जांच जारी है।
इसके अलावा, सीबीआई अब इस बात की जांच कर रही है कि क्या यह भ्रष्टाचार का एकमात्र मामला था, या इसके पीछे कोई बड़ा नेटवर्क काम कर रहा था। CBI की टीम ने कौशलेश कुमार के बैंक खातों, संपत्तियों और अन्य वित्तीय लेन-देन की पूरी जांच शुरू कर दी है, ताकि इस मामले की जड़ तक पहुंचा जा सके।
CBI की गिरफ्तारी के निहितार्थ: भ्रष्टाचार की जड़ें और गहरी हैं
यह गिरफ्तारी न केवल दरभंगा, बल्कि पूरे बिहार राज्य में सनसनी फैलाने वाली साबित हुई है। सैन्य परिसर जैसे संवेदनशील क्षेत्र में भ्रष्टाचार का यह मामला न केवल प्रशासनिक व्यवस्था पर सवाल उठाता है, बल्कि आम लोगों के बीच आक्रोश पैदा कर रहा है। जब तक सैन्य और सरकारी परिसरों में भ्रष्टाचार के इस प्रकार के नेटवर्क को समाप्त नहीं किया जाता, तब तक प्रशासनिक व्यवस्था की पारदर्शिता पर सवाल उठते रहेंगे।
सीबीआई की इस कार्रवाई को भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत कदम माना जा रहा है, लेकिन साथ ही यह भी सवाल उठता है कि सैन्य संस्थानों में भ्रष्टाचार के मामलों को पूरी तरह से रोकने के लिए और क्या कदम उठाए जाने चाहिए। सीबीआई ने अपनी कार्रवाई के दौरान यह साबित कर दिया कि वह भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की नीति पर काम कर रही है।
CBI की भ्रष्टाचार विरोधी नीति को बल
सीबीआई की यह कार्रवाई एक बार फिर से यह साबित करती है कि जब भी भ्रष्टाचार के आरोप सामने आते हैं, तो सीबीआई उसे पूरी गंभीरता से लेकर जांच करती है और दोषियों को सजा दिलवाने के लिए पूरी ताकत लगाती है। इस मामले में भी कौशलेश कुमार की गिरफ्तारी ने यह संदेश दिया है कि भ्रष्टाचार के खिलाफ सीबीआई की नीति में कोई लचीलापन नहीं होगा, चाहे वह किसी भी क्षेत्र का अधिकारी क्यों न हो। अब यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले की और किस दिशा में जांच होती है और कौशलेश कुमार के अलावा क्या अन्य लोग भी इस भ्रष्टाचार में शामिल थे।