बिहार की राजधानी पटना और इसके आसपास के इलाकों में अपराध का ग्राफ लगातार ऊपर चढ़ता जा रहा है। बीती रात पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र के रानीपुर गांव में हुई एक दिल दहला देने वाली घटना ने न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल उठाए हैं, बल्कि राजनीतिक हलकों में भी हलचल मचा दी है। इस बार शिकार बना एक वेल्डिंग मिस्त्री, जिसकी निर्मम गोली मारकर हत्या कर दी गई।
घटना की डिटेल: रात के अंधेरे में एक हत्या, सुबह गांव में हड़कंप
प्राप्त जानकारी के अनुसार मृतक की पहचान रानीपुर गांव निवासी ऋतू साव के 35 वर्षीय पुत्र झगडू उर्फ रौशन कुमार के रूप में हुई है। पेशे से वेल्डिंग मिस्त्री झगडू सोमवार की रात अपने गांव में एक पारिवारिक तिलक समारोह में शामिल होने आया था। रात करीब 9 बजे वह समारोह से खाना खाकर अपनी मोटरसाइकिल से पालीगंज स्थित अपने घर लौट रहा था, लेकिन वह कभी नहीं लौटा। अगली सुबह गांव के कुछ ग्रामीणों ने उसका शव बीच सड़क पर पड़ा देखा, जो हनुमान मंदिर से महज 500 मीटर की दूरी पर था। शव पर गोलियों के निशान थे, जिससे यह स्पष्ट हुआ कि उसकी हत्या बेहद नृशंसता से की गई है।
सुबूत जुटा रही है पुलिस, SFL टीम कर रही जांच
घटना की सूचना मिलते ही पालीगंज थाना पुलिस और डीएसपी प्रीतम कुमार मौके पर पहुंचे। फौरन ही SFL (फॉरेंसिक लैब) टीम को भी बुलाया गया, जिसने घटनास्थल से खून के धब्बों और अन्य फॉरेंसिक साक्ष्यों को इकट्ठा किया। मौके से मृतक की मोटरसाइकिल, चप्पल और अन्य वस्तुएं भी बरामद की गईं।
डीएसपी प्रीतम कुमार ने बताया, “प्राथमिक जांच में यह मामला पूरी तरह सुनियोजित हत्या का प्रतीत हो रहा है। पुलिस हर संभावित बिंदु पर जांच कर रही है और अपराधियों की शीघ्र गिरफ्तारी के लिए छापेमारी की जा रही है।”
पोस्टमार्टम के लिए भेजा गया शव, परिवार का रो-रोकर बुरा हाल
परिजनों को जैसे ही हत्या की सूचना मिली, कोहराम मच गया। पत्नी और बच्चों की चीख-पुकार से माहौल गमगीन हो गया। मृतक के परिजनों ने पहले पालीगंज पीएचसी और फिर पटना एम्स में इलाज की कोशिश की, लेकिन डॉक्टरों ने मृत घोषित कर दिया। फिलहाल शव का पोस्टमार्टम पटना एम्स में कराया जा रहा है, जिसके बाद शव को गांव लाया जाएगा।
राजनीतिक और सामाजिक पृष्ठभूमि में हत्या के मायने
यह मामला केवल एक हत्या नहीं, बल्कि राजनीतिक दृष्टिकोण से भी अहम हो जाता है। पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र इन दिनों विधानसभा चुनाव की पूर्व तैयारी के लिहाज से राजनीतिक गतिविधियों का केंद्र बना हुआ है। विभिन्न राजनीतिक दल यहां जातीय समीकरणों को साधने और सामाजिक समीकरणों में अपने प्रत्याशियों को बैठाने में जुटे हैं। इस घटना ने न केवल क्षेत्र की शांति भंग की है, बल्कि सत्तारूढ़ गठबंधन की कानून-व्यवस्था को लेकर जनता के बीच अविश्वास भी पैदा किया है।
विशेष बात यह है कि मृतक झगडू का किसी से कोई ज्ञात दुश्मनी नहीं थी। परिजनों और ग्रामीणों के अनुसार वह बेहद मिलनसार और सामाजिक प्रवृत्ति का व्यक्ति था। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर उसे क्यों और किसने मारा?
पालीगंज: अपराध का नया गढ़?
अगर हाल के दिनों की बात करें तो पालीगंज अनुमंडल क्षेत्र में अपराध की घटनाओं में चिंताजनक बढ़ोतरी हुई है। बीते तीन दिनों में अकेले इस क्षेत्र में हत्या, दुष्कर्म और लूट जैसी करीब आधा दर्जन घटनाएं सामने आई हैं। दुल्हिनबाजार में बलात्कार, इमामगंज में व्यवसायी पर जानलेवा हमला और अब झगडू की हत्या—ये घटनाएं न केवल पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े कर रही हैं बल्कि ‘सुशासन’ के दावों की भी पोल खोल रही हैं।
क्या बिहार पुलिस विफल हो रही है?
इस घटना के बाद एक बार फिर से यह सवाल मुखर हो गया है कि क्या बिहार पुलिस अपराध पर काबू पाने में विफल हो रही है? प्रदेश में रोज़ाना घट रही हत्याएं, डकैती और बलात्कार की वारदातें यह दर्शा रही हैं कि अपराधियों में पुलिस का खौफ खत्म होता जा रहा है। ऐसे में यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि पुलिस इस केस का कब और कैसे खुलासा करती है।
अगले कुछ घंटे अहम: FIR और राजनीतिक प्रतिक्रिया की प्रतीक्षा
फिलहाल पुलिस को परिजनों की ओर से लिखित शिकायत का इंतजार है, जिसके बाद मामला विधिवत दर्ज किया जाएगा। राजनीतिक दलों और स्थानीय जनप्रतिनिधियों की प्रतिक्रियाएं अभी आनी बाकी हैं। उम्मीद की जा रही है कि जैसे ही शव गांव पहुंचेगा, राजनीतिक रंग भी इस हत्याकांड में गहराएगा।
पालीगंज में झगडू की हत्या ने एक बार फिर यह सिद्ध कर दिया है कि अपराधी अब बेलगाम हो चुके हैं। पुलिस के लिए यह केस एक चुनौती है, और इसके समाधान से न केवल झगडू के परिवार को न्याय मिलेगा, बल्कि कानून-व्यवस्था की विश्वसनीयता भी बहाल हो सकेगी। वहीं, राजनीतिक नेतृत्व के लिए यह समय आत्ममंथन का है—क्या चुनावी गणित में उलझी व्यवस्था आम लोगों की सुरक्षा भूल चुकी है?