जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए भीषण आतंकी हमले ने सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि पड़ोसी देश नेपाल को भी झकझोर कर रख दिया है। नेपाल की राजधानी काठमांडू समेत कई प्रमुख शहरों में इस हमले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं। आम नागरिकों से लेकर छात्र संगठनों और राजनीतिक दलों तक ने भारत के प्रति एकजुटता जताते हुए आतंकवाद के खिलाफ कड़े कदम उठाने की मांग की है।
नेपाल में भारत के प्रति सहानुभूति और समर्थन की लहर
हमले में मारे गए भारतीय और नेपाली नागरिकों के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए काठमांडू, पोखरा, चितवन और बिराटनगर जैसे शहरों में कैंडल मार्च और शांति सभाएं आयोजित की गईं। नेपाल के नागरिकों ने “भारत-नेपाल एकता जिंदाबाद” और “आतंकवाद मुर्दाबाद” जैसे नारे लगाकर भारत के प्रति समर्थन व्यक्त किया।
नेपाल के प्रमुख अखबारों और न्यूज चैनलों ने भी इस हमले की तीखी निंदा करते हुए संपादकीय लिखे और पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद को क्षेत्रीय शांति के लिए खतरा बताया।
नेपाली राजनीतिक दलों की तीखी प्रतिक्रिया
नेपाल के प्रमुख राजनीतिक दलों ने भी खुलकर भारत के पक्ष में बयान दिए हैं।
- नेपाली कांग्रेस के अध्यक्ष शेर बहादुर देउबा ने कहा, “हम भारत के निर्दोष नागरिकों पर हुए हमले की कड़ी निंदा करते हैं। आतंकवाद मानवता के खिलाफ सबसे बड़ा अपराध है। नेपाल भारत के दुख में भागीदार है।”
- नेकपा (एमाले) के वरिष्ठ नेता केपी शर्मा ओली ने भी बयान जारी कर कहा, “पहलगाम में निर्दोषों पर हमला मानवता को शर्मसार करने वाला कृत्य है। नेपाल हमेशा से आतंकवाद के खिलाफ है और भारत के साथ खड़ा है।”
- वहीं, जनता समाजवादी पार्टी के नेता उपेन्द्र यादव ने कहा कि “भारत और नेपाल सांस्कृतिक और ऐतिहासिक रूप से जुड़े हैं। जब भारत पर हमला होता है, तो नेपाल भी उसे अपना दर्द मानता है।”
नेपाल में भारतीय दूतावास के बाहर सुरक्षा बढ़ाई गई
पहलगाम हमले के बाद नेपाल में स्थित भारतीय दूतावास के बाहर सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है। नेपाली पुलिस और विशेष सुरक्षा बलों ने दूतावास के आसपास अतिरिक्त गश्त बढ़ा दी है ताकि किसी भी संभावित विरोध या खतरे को रोका जा सके।
भारतीय राजदूत नवीश कुमार ने नेपाल सरकार और नेपाली जनता का धन्यवाद करते हुए कहा, “नेपाल से मिल रहा समर्थन हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। यह दर्शाता है कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत अकेला नहीं है।”
सामाजिक संगठनों और युवाओं की सक्रियता
नेपाल के कई सामाजिक संगठन और छात्र संघ भी इस मुद्दे पर सक्रिय हो गए हैं।
- नेपाल स्टूडेंट यूनियन और युवा संघ नेपाल ने काठमांडू के बसंतपुर दरबार स्क्वायर पर एक बड़ा प्रदर्शन आयोजित किया, जिसमें पाकिस्तान समर्थित आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की गई।
- प्रदर्शनकारियों ने मांग की कि क्षेत्रीय शांति और सुरक्षा के लिए दक्षिण एशियाई देशों को मिलकर आतंकवाद के खिलाफ साझा नीति बनानी चाहिए।
पाकिस्तान के खिलाफ नेपाल में भी नाराजगी
नेपाल के कई बुद्धिजीवियों, पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी पाकिस्तान की आलोचना की है। सोशल मीडिया पर “#StandWithIndia” और “#NepalAgainstTerror” जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं।
नेपाल के वरिष्ठ पत्रकार कृष्ण सेन ने ट्वीट कर कहा, “आतंकवाद को पनाह देने वाला पाकिस्तान पूरे दक्षिण एशिया के लिए खतरा है। अब समय आ गया है कि क्षेत्रीय देशों को एकजुट होकर पाकिस्तान पर दबाव बनाना चाहिए।”
नेपाल-भारत दोस्ती और मजबूत होगी
पहलगाम हमले के बाद नेपाल में जिस तरह का जनसमर्थन भारत के लिए सामने आया है, उसने दोनों देशों के बीच पारंपरिक “रोटी-बेटी” संबंध को और मजबूत किया है। नेपाल में भारत के प्रति सहानुभूति और आतंकवाद के खिलाफ एकजुटता यह साबित करती है कि मानवता के विरुद्ध होने वाले किसी भी अपराध के खिलाफ सीमाएं मायने नहीं रखतीं।
भारत और नेपाल के बीच यह नई एकजुटता दक्षिण एशिया में आतंकवाद के खिलाफ एक ठोस मोर्चा बनाने की दिशा में एक सकारात्मक संकेत है। आने वाले समय में भारत को वैश्विक मंचों पर नेपाल जैसे पड़ोसी देशों से और भी मजबूत समर्थन मिलने की संभावना है।