Bihar crime: भोजपुर जिले के अगिआंव प्रखंड के लहरपा गांव में हुआ नरसंहार केवल एक जघन्य आपराधिक वारदात नहीं, बल्कि बिहार की कथित “सुशासन” व्यवस्था पर गहरा धब्बा है। सत्ता संरक्षित सामंती गुंडों द्वारा निर्दोषों का इस बर्बरता से कत्लेआम होना दर्शाता है कि बिहार में गरीबों, दलितों और पिछड़ों की जान की कीमत दो कौड़ी भी नहीं बची है।

घटना के बाद मंगलवार को राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल ने पीड़ित परिवारों से मुलाकात कर घटना की पूरी जानकारी ली और प्रदेश सरकार पर गंभीर आरोप लगाए। प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व जिलाध्यक्ष वीरबल यादव कर रहे थे और इसका गठन नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद के निर्देश पर किया गया था।
डबल इंजन सरकार का डगमगाता इंजन
प्रतिनिधिमंडल के संयोजक और पूर्व मंत्री आलोक मेहता ने लहरपा की घटना को ‘सिस्टम प्रायोजित जंगलराज’ करार दिया। उनका आरोप था कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की डबल इंजन सरकार ने सामंती गुंडों को खुली छूट दे रखी है, जिससे अपराधियों के हौसले बुलंद हैं और आम नागरिकों का जीना दुश्वार हो गया है।

उन्होंने सरकार से मांग की कि दोषियों को तत्काल गिरफ्तार कर स्पीडी ट्रायल चलाया जाए और मृतक परिवारों को 20 लाख तथा घायलों को 10 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए।
अपराध और सत्ता का नंगा गठजोड़
पूर्व मंत्री रामानंद राय ने साफ शब्दों में कहा कि यह नरसंहार सीधे तौर पर सामंती वर्चस्व की राजनीति का नतीजा है, जिसे जिला प्रशासन रोकने में पूरी तरह विफल रहा। वहीं पूर्व मंत्री अनिता देवी ने लहरपा की घटना को महिलाओं और बच्चों में भय का माहौल पैदा करने वाला बताया और सरकार को गरीबों की सुरक्षा में नाकाम करार दिया।

विधायक भाई वीरेंद्र ने कहा कि नीतीश-मोदी सरकार ने बिहार को अपराधियों का स्वर्ग बना दिया है। शाहपुर विधायक राहुल तिवारी ने भी जोर देते हुए कहा कि यह घटना लॉ एंड ऑर्डर की बदहाली का जीता-जागता प्रमाण है।
प्रशासन से मुलाकात और ज्ञापन
घटना के बाद राजद प्रतिनिधिमंडल ने भोजपुर के जिलाधिकारी और आरक्षी अधीक्षक से भी मुलाकात कर ज्ञापन सौंपा। इसमें घटना की उच्चस्तरीय जांच, दोषियों की गिरफ्तारी, स्पीडी ट्रायल, मुआवजा और पीड़ित परिवारों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की गई।
निष्क्रिय सरकार, त्रस्त जनता
जिलाध्यक्ष वीरबल यादव और प्रवक्ता आलोक रंजन ने सरकार पर जमकर हमला बोलते हुए कहा कि लहरपा की घटना बिहार में एनडीए सरकार की नाकामी का सबसे ताजा और भयावह उदाहरण है। सामंती गुंडों को संरक्षण देना और गरीबों का खून बहने देना, आज के बिहार की कड़वी सच्चाई बन गई है।

सवाल जो बिहार की जनता पूछ रही है:
- क्या बिहार में कानून का शासन खत्म हो गया है?
- क्या गरीबों और दलितों की जान की कोई कीमत नहीं बची है?
- कब तक सत्ता के संरक्षण में सामंती ताकतें निर्दोषों का खून बहाती रहेंगी?
- क्या बिहार सरकार सिर्फ घोषणाओं और नारेबाजी में उलझ कर रह गई है?
लहरपा नरसंहार से एक बात साफ हो गई है — जब तक सत्ता का संरक्षण अपराधियों के साथ रहेगा, तब तक “सुशासन” महज एक जुमला रहेगा, हकीकत नहीं।