पश्चिम बंगाल में हिंदुओं पर हो रही कथित हिंसा के विरोध में शुक्रवार को आरा में जेपी स्मारक के पास विश्व हिंदू परिषद (विहिप) के बैनर तले एक बड़ा धरना प्रदर्शन आयोजित किया गया। कार्यक्रम में सैकड़ों गणमान्य नागरिकों, समाजसेवियों और विभिन्न संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। विहिप ने इस मौके पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की चुप्पी पर कड़ी नाराजगी जताई और सीमावर्ती राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की।
आंदोलन का उद्देश्य और मांगें
विश्व हिंदू परिषद, भोजपुर के जिला सह मंत्री अभिषेक चौरसिया ने धरना स्थल पर कहा कि 19 अप्रैल को विहिप पूरे देश के सभी जिलों में एक साथ धरना प्रदर्शन कर रहा है। उनका कहना था कि बंगाल में हिंदू समुदाय पर हो रहे अत्याचार अब असहनीय स्तर पर पहुंच गए हैं, और हालात को देखते हुए वहां राष्ट्रपति शासन लागू किया जाना आवश्यक हो गया है।

विहिप भोजपुर के जिला अध्यक्ष राजीव रंजन ने बताया कि धरने के बाद भोजपुर जिलाधिकारी के माध्यम से राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को एक ज्ञापन भेजा गया है, जिसमें पश्चिम बंगाल में जल्द से जल्द राष्ट्रपति शासन लागू करने की मांग की गई है। उन्होंने आरोप लगाया कि बंगाल सरकार न केवल विफल रही है, बल्कि हिंदुओं के खिलाफ हो रही घटनाओं पर जानबूझकर चुप्पी साधे हुए है।
नेताओं के बयान और धरने में शामिल प्रमुख व्यक्ति
धरना स्थल पर विहिप के जिला संयोजक अमित पांडे ने कहा कि विरोध-प्रदर्शन करना प्रत्येक नागरिक का संवैधानिक अधिकार है, लेकिन किसी भी कीमत पर हिंदू समाज के खिलाफ हिंसा बर्दाश्त नहीं की जाएगी। सह संयोजक श्याम किशोर पाठक ने पश्चिम बंगाल के एक मंत्री पर संविधान विरोधी टिप्पणी करने का आरोप लगाया और उनके खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की।

प्रांतीय अधिकारी रमेश मिश्रा ने वक्फ बोर्ड संशोधन बिल का हवाला देते हुए कहा कि मुर्शिदाबाद जैसे क्षेत्रों में हिंदुओं के खिलाफ एक ‘सुनियोजित साजिश’ के तहत कार्रवाई हो रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि बिल की आड़ में हिंदू समाज को कमजोर करने का प्रयास हो रहा है।
धरना में शामिल अन्य प्रमुख व्यक्तियों में विहिप के कोषाध्यक्ष विमल किशोर, ऋतिक ओझा, रजनीश राजन, भाजपा जिला अध्यक्ष दुर्गा राज, उपेन्द्र तिवारी, ओमप्रकाश दुबे, मनोज बाबा (पीठाधीश्वर, आरण्य देवी मंदिर), अजय सिंह, जितेंद्र शुक्ला, निकेश पांडेय, विद्यार्थी परिषद के छोटू सिंह और चंदन तिवारी सहित अन्य लोग शामिल रहे।
विश्लेषण: राजनीतिक दबाव और सामाजिक असर
बंगाल में हो रही हिंसा के मुद्दे पर विहिप और अन्य हिंदू संगठनों की सक्रियता आने वाले समय में एक बड़ा सामाजिक-राजनीतिक विमर्श खड़ा कर सकती है। चूंकि यह मामला अब राष्ट्रीय स्तर पर उठाया जा रहा है, इसलिए विपक्षी दलों और सत्ताधारी दल के बीच तनाव और भी गहराने की संभावना है।
वर्तमान में देश में कानून व्यवस्था के नाम पर स्थानीय सरकारों की भूमिका और केंद्र के हस्तक्षेप की मांग लगातार चर्चा में है। अगर मांगें नहीं मानी गईं, तो यह आंदोलन बड़े विरोध-प्रदर्शनों का रूप ले सकता है, जो बिहार जैसे राज्यों में भी सियासी असर डाल सकता है, जहां बड़ी संख्या में बंगाल में प्रवास कर रहे परिवारों के रिश्तेदार रहते हैं।
विजुअल इन्फोग्राफिक आइडिया:
मुद्दा | आंकड़े/तथ्य |
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धरना का स्थान | जेपी स्मारक, आरा |
धरना की तारीख | 19 अप्रैल 2025 |
मुख्य मांग | पश्चिम बंगाल में राष्ट्रपति शासन |
ज्ञापन सौंपा गया | राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के नाम |
भागीदार संगठन | विश्व हिंदू परिषद, भाजपा कार्यकर्ता, विद्यार्थी परिषद |
मुख्य नाराजगी | ममता बनर्जी सरकार की चुप्पी, संविधान विरोधी बयान |