Saturday, September 6, 2025
spot_img
spot_img

Top 5 This Week

झारखंड में भाजपा का ‘संविधान बचाओ’ आंदोलन: मंत्री हफीजुल हसन के बयान पर बवाल तेज

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने गुरुवार को झारखंड की राजधानी रांची में जोरदार प्रदर्शन कर राज्य सरकार और अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री हफीजुल हसन के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मंत्री द्वारा दिए गए कथित “संविधान से ऊपर शरीयत” वाले बयान को लेकर भाजपा ने उन्हें मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग की है।

विवाद की शुरुआत: क्या बोले थे मंत्री हफीजुल हसन?

14 अप्रैल को एक सार्वजनिक कार्यक्रम में मंत्री हसन ने कथित रूप से कहा था कि,

“शरीयत हमारे लिए संविधान से भी ऊपर है।”

बयान के सामने आते ही राजनीतिक हलकों में तूफान मच गया। हालाँकि, विवाद बढ़ने पर हसन ने सफाई दी कि उनके बयान को मीडिया ने गलत तरीके से प्रस्तुत किया है और उनके लिए शरीयत और संविधान दोनों बराबर महत्वपूर्ण हैं।

भाजपा का आक्रोश मार्च

भाजपा की झारखंड इकाई ने प्रदेश अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी के नेतृत्व में रांची के जिला स्कूल मैदान से एक विशाल ‘आक्रोश प्रदर्शन’ रैली निकाली।
हजारों कार्यकर्ता हाथों में संविधान की प्रतियां और ‘संविधान सर्वोपरि है’ जैसे नारे लिखी तख्तियां लिए मार्च में शामिल हुए।
रैली का समापन राजभवन में हुआ, जहां मरांडी के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल ने राज्यपाल संतोष कुमार गंगवार को ज्ञापन सौंपा।

भाजपा नेताओं के तीखे बयान

  • बाबूलाल मरांडी ने कहा: “एक संवैधानिक पद पर बैठे मंत्री द्वारा संविधान की गरिमा का उल्लंघन अस्वीकार्य है। मुख्यमंत्री को तुरंत उन्हें मंत्रिमंडल से हटाना चाहिए।”
  • रवींद्र राय, प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष, ने आरोप लगाया: “हेमंत सोरेन सरकार में सांप्रदायिक ताकतें सिर उठा रही हैं। देश डॉ. भीमराव अंबेडकर द्वारा निर्मित संविधान के आधार पर चलेगा, और वह सर्वोच्च रहेगा।”
  • दीपक प्रकाश, राज्यसभा सांसद, ने मांग की: “मुख्यमंत्री को खुद मंत्री से इस्तीफा लेना चाहिए। सरकार की चुप्पी लोकतंत्र के लिए खतरा है।”

भाजपा का ज्ञापन: क्या मांग की गई?

राज्यपाल को सौंपे गए ज्ञापन में प्रमुख मांगे रखी गईं:

  • हफीजुल हसन को मंत्रिमंडल से तत्काल बर्खास्त किया जाए।
  • राज्य सरकार स्पष्ट करे कि वह संविधान की सर्वोच्चता को मानती है या नहीं।
  • प्रदेश में संविधान की रक्षा और सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं।

घटना की टाइमलाइन

तारीखघटनाक्रम
14 अप्रैलमंत्री हफीजुल हसन का कथित “शरीयत संविधान से ऊपर” बयान।
15-17 अप्रैलबयान पर मीडिया में विवाद; मंत्री द्वारा सफाई दी गई।
18 अप्रैलभाजपा ने ‘संविधान बचाओ’ आंदोलन की घोषणा की।
18 अप्रैल (दोपहर)रांची में आक्रोश रैली; राजभवन तक मार्च और ज्ञापन सौंपा गया।

डीप डाइव: संवैधानिक गरिमा बनाम धार्मिक आस्था

भारत का संविधान धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार देता है, लेकिन सार्वजनिक पदों पर बैठे व्यक्तियों से अपेक्षा की जाती है कि वे संविधान को सर्वोपरि मानें।
संविधान के अनुच्छेद 25 में धार्मिक स्वतंत्रता का अधिकार है, लेकिन यह सार्वजनिक व्यवस्था, नैतिकता और स्वास्थ्य के अधीन है।

विशेषज्ञों की राय:

  • संवैधानिक पदों पर बैठे व्यक्ति का बयान सिर्फ निजी राय नहीं होता, बल्कि उसकी संस्थागत जिम्मेदारी को भी दर्शाता है।
  • ऐसे बयान संविधान की सर्वोच्चता को चुनौती देने जैसे प्रतीत हो सकते हैं, जो लोकतांत्रिक व्यवस्था के लिए घातक माने जाते हैं।

मंत्री हफीजुल हसन के कथित बयान ने एक बार फिर संवैधानिक मूल्यों और धार्मिक आस्थाओं के बीच संतुलन के सवाल को केंद्र में ला दिया है।
भाजपा इसे एक बड़े राजनीतिक मुद्दे में बदलने के मूड में दिख रही है, जो आने वाले महीनों में झारखंड की राजनीति का अहम ध्रुव बन सकता है।

झारखंड की सियासत अब संविधान बनाम शरीयत के नैरेटिव पर गर्माई हुई नजर आ रही है।

Bunty Bharadwaj
Bunty Bharadwajhttp://nationbharatvarsh.in
बन्टी भारद्वाज Nation भारतवर्ष के मैनेजिंग डाइरेक्टर है और दो दशकों से पत्रकारिता के क्षेत्र मे सक्रिय है. इस दौरान ये प्रिंट और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया मे अपनी सेवा दे चुके है. 2004 मे "आज" अखबार से अपनी कैरियर की शुरुआत करने वाले बन्टी भारद्वाज बिग मैजिक गंगा के क्राइम शो "पुलिस फाइल्स" और लाइफ ओके के क्राइम शो "सावधान इंडिया" मे स्क्रिप्ट राइटिंग का कार्य भी कर चुके है.

Popular Articles

The content on this website is protected by copyright. Unauthorized copying, reproduction, or distribution is strictly prohibited.