भारत के पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चंद्रशेखर की जयंती के अवसर पर गुरुवार को पटना में एक भव्य राजकीय समारोह का आयोजन किया गया। बहादुरपुर हाउसिंग कॉलोनी के पार्क नंबर-2, कंकड़बाग में आयोजित इस कार्यक्रम में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने स्व. चंद्रशेखर की आदमकद प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए और उनके अतुलनीय योगदान को स्मरण किया।

इस अवसर पर उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी, बिहार विधानसभा के अध्यक्ष नंद किशोर यादव, जल संसाधन एवं संसदीय कार्य मंत्री विजय कुमार चौधरी, पूर्व मंत्री श्याम रजक, बिहार राज्य नागरिक परिषद के पूर्व महासचिव अरविंद कुमार, बिहार बाल अधिकार संरक्षण आयोग के पूर्व सदस्य शिवशंकर निषाद सहित कई वरिष्ठ राजनेता, जनप्रतिनिधि और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने भी श्रद्धांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में आम नागरिकों ने भी भाग लिया, जो चंद्रशेखर सिंह के प्रति अपनी श्रद्धा व्यक्त करने पहुंचे थे।
राजकीय समारोह में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा आरती-पूजन, भजन-कीर्तन और देशभक्ति गीतों का आयोजन किया गया, जिससे पूरा वातावरण भक्ति और राष्ट्रभक्ति के रंग में रंग गया।
चंद्रशेखर : एक प्रखर समाजवादी और अद्भुत व्यक्तित्व
स्वर्गीय चंद्रशेखर का जन्म 17 अप्रैल 1927 को उत्तर प्रदेश के बलिया जिले के इब्राहिमपट्टी गांव में हुआ था। वे भारतीय राजनीति के उन बिरले नेताओं में से एक थे, जिन्होंने सामाजिक न्याय, समानता और लोकतांत्रिक मूल्यों को अपनी राजनीति का आधार बनाया।
चंद्रशेखर भारत के आठवें प्रधानमंत्री बने, और विशेष बात यह रही कि प्रधानमंत्री पद पर आसीन होने से पूर्व उन्होंने न तो किसी मंत्री पद का कार्यभार संभाला था, न ही किसी सरकारी पद पर रहे थे। यह उनकी जनसमर्थन आधारित राजनीतिक यात्रा का अद्वितीय उदाहरण था।
छात्र जीवन से ही वे एक तेजस्वी तर्कशील नेता के रूप में उभरे थे। अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद और समाजवादी आंदोलनों से जुड़े रहे चंद्रशेखर, ‘युवा तुर्क’ के रूप में अपनी निर्भीकता और सामाजिक सरोकारों के लिए चर्चित रहे।
उनकी राजनीति केवल सत्ता के लिए नहीं थी, बल्कि जनसरोकारों की सेवा हेतु थी। संसद में उनके ओजस्वी भाषणों को गहनता से सुना जाता था, जहां वे बिना किसी लाग-लपेट के आम जन की आवाज उठाते थे। चाहे वह गरीबी का मुद्दा हो, बेरोजगारी की चुनौती हो या सामाजिक असमानता—चंद्रशेखर सिंह हर मोर्चे पर जनता के साथ खड़े रहे।
मिलनसार व्यक्तित्व और जनता से गहरा जुड़ाव
चंद्रशेखर न केवल एक प्रखर नेता थे, बल्कि एक अत्यंत सहज और विशाल हृदय वाले व्यक्ति भी थे। सत्ता में रहते हुए भी उन्होंने हमेशा आमजन के साथ सीधे संवाद बनाए रखा। उनका ‘भारत यात्रा’ अभियान, जिसमें वे पैदल चलकर देश के कोने-कोने में पहुंचे थे, आज भी भारतीय राजनीति में एक मिसाल के तौर पर याद किया जाता है।
उनका मानना था कि असली ताकत जनता के बीच जाकर उनके दुख-दर्द को समझने में है। चंद्रशेखर का जीवन दर्शन समावेशिता, समानता और सामाजिक न्याय की त्रयी पर आधारित था।
आज, जब भारतीय राजनीति में जनप्रतिनिधियों और जनता के बीच की दूरी बढ़ती जा रही है, चंद्रशेखर सिंह का जीवन और आदर्श पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक हो गए हैं।
चंद्रशेखर की विरासत आज भी जीवंत
स्वर्गीय चंद्रशेखर ने भारतीय राजनीति में जो उच्च आदर्श स्थापित किए, वे आज भी एक आदर्श के रूप में देखे जाते हैं। उनका स्पष्ट और निर्भीक राजनीतिक दृष्टिकोण, जनता के प्रति उनकी निष्ठा और लोकतंत्र में उनकी गहरी आस्था आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा स्रोत बनी रहेगी।
पटना में आयोजित यह राजकीय समारोह केवल एक श्रद्धांजलि नहीं था, बल्कि यह भी एक स्मरण था कि कैसे एक साधारण पृष्ठभूमि से आया व्यक्ति अपने विचारों, कर्मठता और जनता से जुड़ाव के दम पर देश का सर्वोच्च पद सुशोभित कर सकता है।