संविधान निर्माता एवं भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर की जयंती के अवसर पर अंबेडकर सेवा समिति द्वारा एक भव्य समारोह का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम का नेतृत्व समिति के सचिव यशवंत नारायण ने किया, जबकि संचालन संस्था के अध्यक्ष अभय विश्वास भट्ट ने किया। समारोह में विभिन्न राजनीतिक दलों, सामाजिक संगठनों और बुद्धिजीवी वर्ग के लोगों ने भाग लिया।

कार्यक्रम की शुरुआत डॉ. अंबेडकर की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के साथ हुई। उपस्थित जनसमुदाय ने “बाबा साहब अमर रहें”, “संविधान निर्माता अमर रहें”, “भारत माता की जय” जैसे नारों के साथ उत्साहपूर्वक भागीदारी निभाई। इसके बाद रमना मैदान स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल से एक विशाल शोभायात्रा निकाली गई, जिसमें सैकड़ों की संख्या में युवा, सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी शामिल हुए।
इस शोभायात्रा का मार्ग रमना मैदान से शुरू होकर नागरिक प्रचारिणी, बाबू बाजार मोड़, शहीद भवन, रेडक्रॉस चौराहा होते हुए पुनः अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर समाप्त हुआ। प्रतिभागियों ने भगवा झंडों पर डॉ. अंबेडकर की तस्वीरें और “मैं भी हूँ अंबेडकर” लिखे पट्टों के साथ पूरे मार्ग में संविधान और सामाजिक एकता का संदेश दिया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से उपस्थित रहे भाजपा के वरिष्ठ नेता डॉ. प्रेम रंजन चतुर्वेदी, भाजपा नेता संतोष पांडेय, हम सेक्युलर के प्रदेश प्रवक्ता गिरधारी सिंह, रालोमो प्रदेश सचिव सुनील पाठक, भाजपा नेता शंभू चौरसिया, युवा जदयू नेता अंशु सिंह सिकरिवाल, सामाजिक कार्यकर्ता संजय राय और अजय गुप्ता सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने बाबा साहब के विचारों पर प्रकाश डाला।

डॉ. चतुर्वेदी ने अपने संबोधन में कहा, “डॉ. अंबेडकर भारतीय संविधान के शिल्पकार ही नहीं, बल्कि सामाजिक समरसता के प्रतीक हैं। उन्होंने संविधान के माध्यम से सभी वर्गों को सम्मान और अधिकार सुनिश्चित किया।” अन्य वक्ताओं ने भी युवाओं से बाबा साहब के विचारों को आत्मसात करने और सामाजिक एकता बनाए रखने का आह्वान किया।

कार्यक्रम के दौरान वक्ताओं ने यह भी कहा कि आज के राजनीतिक माहौल में समाज को बांटने के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन संविधान ने हमेशा हमें एकजुट रहने की प्रेरणा दी है। इस अवसर पर सभी ने संविधान की रक्षा और पालन करने का संकल्प लिया।
सचिव यशवंत नारायण ने अपने वक्तव्य में कहा, “कुछ लोग अंबेडकर जी को जातिगत खांचे में बांधने की कोशिश कर रहे हैं, जबकि उनका विचार हर वर्ग और हर नागरिक के लिए था। हमारा प्रयास है कि इस मिथक को तोड़ा जाए और उन्हें राष्ट्रीय प्रतीक के रूप में स्थापित किया जाए।”
समारोह का धन्यवाद ज्ञापन सुनील पाठक ने किया जबकि समापन की घोषणा कुमार विजय ने की। कार्यक्रम में नितीश कुशवाहा, कृष्णा कुमार प्रसाद, अमरेंद्र मोहन पाठक, नीरज सिंह, महेंद्र राम, कृष्णा पासवान, पंकज सिंह सहित अनेक गणमान्य लोग उपस्थित रहे।
यह आयोजन बाबा साहब के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और संविधान की मूल भावना को मजबूत करने की दिशा में एक प्रभावशाली प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।