उत्तर प्रदेश के शामली जिले में तैनात तेजतर्रार पीपीएस अधिकारी डिप्टी एसपी श्रेष्ठा ठाकुर एक बार फिर चर्चाओं में हैं। इस बार वजह बनी है उनके पूर्व पति रोहित कुमार सिंह की ओर से सार्वजनिक रूप से लगाए गए गंभीर आरोप और उनका पक्ष, जिसे उन्होंने शनिवार को बिहार के आरा शहर में आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में मीडिया के समक्ष रखा।
प्रेस कॉन्फ्रेंस में रोहित सिंह ने श्रेष्ठा ठाकुर द्वारा लगाए गए सभी आरोपों को बेबुनियाद बताया और उन पर दुरुपयोग, दबाव, और दहेज संबंधी झूठे दावों के जरिए उन्हें फंसाने का आरोप लगाया। रोहित ने दावा किया कि 2017 में फेसबुक के माध्यम से श्रेष्ठा से उनकी बातचीत शुरू हुई थी। दो महीने की ऑनलाइन बातचीत के बाद दोनों की मुलाकात लखनऊ के एक होटल में हुई, जहां रोहित के अनुसार, पहली ही मुलाकात में श्रेष्ठा ने कथित रूप से हथियार के बल पर शादी का दबाव डाला।

रोहित ने कहा कि इसके बाद 9 अगस्त 2017 को दोनों ने लखनऊ के हजरतगंज स्थित एक मंदिर में विवाह किया। लगभग एक वर्ष बाद, 16 जुलाई 2018 को पटना के किसान मैरिज हॉल में सामाजिक रीति-रिवाज से दोबारा शादी की गई, जिसमें दोनों परिवारों की सहमति भी थी। उन्होंने बताया कि इस विवाह से उनका एक बेटा भी है, जो वर्तमान में श्रेष्ठा के पास रह रहा है।
रोहित सिंह ने आरोप लगाया कि दिसंबर 2021 में श्रेष्ठा ने गाजियाबाद कोर्ट में तलाक की अर्जी दी और 2024 में उनके खिलाफ धोखाधड़ी का मामला दर्ज करवाया गया, जिसके चलते उन्हें जेल भी जाना पड़ा। उन्होंने इन सभी आरोपों को निराधार बताते हुए कहा कि उन्होंने कभी अपने बारे में गलत जानकारी नहीं दी थी और विवाह से पहले श्रेष्ठा को अपने प्रोफेशनल जीवन से पूरी तरह अवगत कराया था।
उन्होंने दावा किया कि शादी के दौरान श्रेष्ठा और उनके परिवार ने स्वयं उन्हें “इनकम टैक्स डिप्टी कमिश्नर” के रूप में पेश किया, जबकि वह उस समय रांची में आईएएस कोचिंग संस्थान चला रहे थे। उन्होंने कहा कि शादी के आयोजन में पूरा खर्च उन्होंने ही वहन किया, जिसके दस्तावेजी साक्ष्य उनके पास हैं।
रोहित ने आरोप लगाया कि श्रेष्ठा ठाकुर व उनके परिजन बार-बार दहेज की अलग-अलग राशि का हवाला देते हैं—कहीं ₹2.5 करोड़, कहीं ₹1.5 करोड़, तो कहीं ₹1 करोड़—लेकिन वह इन दावों को सिरे से खारिज करते हैं। उन्होंने कहा, “यदि मुझे दहेज में ₹2.5 भी मिले हों, तो मैं ₹25 करोड़ लौटाने को तैयार हूं।”
रोहित सिंह ने यह भी दावा किया कि श्रेष्ठा ने पुलिस का दुरुपयोग करते हुए उन्हें मानसिक व शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ आईपीसी की धारा 367 व 368 के तहत गाजियाबाद के कौशांबी थाने में केस दर्ज कराया गया, जिसके चलते वह 10 फरवरी 2024 को जेल गए।
उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि श्रेष्ठा ठाकुर चाहती थीं कि वह अपने परिवार से सारे संबंध तोड़ दें और उनके घर जमाई बनकर रहें। रोहित ने श्रेष्ठा की मां पर भी आरोप लगाए कि उन्होंने पारिवारिक रिश्तों को तोड़ने की भूमिका निभाई, जिससे परिवार में अन्य विवाह भी प्रभावित हुए।
श्रेष्ठा ठाकुर का पक्ष और कानूनी कार्रवाई
इस पूरे मामले में डिप्टी एसपी श्रेष्ठा ठाकुर की ओर से भी कानूनी कार्रवाई की गई है। उन्होंने गाजियाबाद के कौशांबी थाने में रोहित सिंह, उनके पिता वकील शरण सिंह और भाई संजीत सिंह के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई है। श्रेष्ठा ने आरोप लगाया है कि रोहित ने खुद को आईआरएस अफसर बताते हुए रांची में डिप्टी कमिश्नर की तैनाती का झूठा दावा किया। इसी झूठ के आधार पर उन्होंने शादी की, और बाद में श्रेष्ठा के नाम का दुरुपयोग कर ठगी करने लगे।
श्रेष्ठा ने अपनी शिकायत में यह भी बताया कि शादी से पहले रोहित के बारे में जानकारी जुटाई गई थी, और इसी नाम के एक आईआरएस अफसर के कारण भ्रमवश यह शादी हुई। उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि रोहित ने लखनऊ में प्लॉट खरीदने के लिए उनके बैंक खाते से 15 लाख रुपये फर्जी हस्ताक्षर से निकाल लिए। परेशान होकर उन्होंने तलाक की अर्जी दी।
आरोप-प्रत्यारोप का अंत अदालत के फैसले पर निर्भर
दोनों पक्षों के बीच चल रही आरोप-प्रत्यारोप की यह लंबी श्रृंखला अब न्यायालय के समक्ष विचाराधीन है। जहां एक ओर रोहित सिंह खुद को निर्दोष बताते हुए प्रताड़ना की बात कर रहे हैं, वहीं डिप्टी एसपी श्रेष्ठा ठाकुर रोहित पर गंभीर वित्तीय व व्यक्तिगत धोखाधड़ी के आरोप लगा रही हैं। अब यह मामला न्यायिक प्रक्रिया में है और आगामी सुनवाई में ही इसका अंतिम फैसला सामने आएगा।
यह प्रकरण न केवल व्यक्तिगत विवाद का मामला बन चुका है, बल्कि इसमें उच्च पदस्थ पुलिस अधिकारी, फर्जी पहचान, दहेज के आरोप और कथित पुलिसिया दुरुपयोग जैसी संवेदनशील बातें भी जुड़ गई हैं। इसलिए यह मामला आने वाले दिनों में और गहराने की संभावना है।